Jharkhand Political Crisis: झारखंड में सियासी संकट गहराया हुआ है। इस बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और JMM के विधायक लतरातू बांध से रांची लौट आए हैं। वहीं, झारखंड कांग्रेस मामलों के प्रभारी अविनाश पांडेय मोरहाबादी के स्टेट गेस्ट हाउस में पार्टी विधायकों की बैठक करने वाले हैं। इससे पहले सीएम सोरेन और सत्तारूढ़ विधायक तीन बसों से खूंटी जिले के लतरातू बांध पहुंचे थे।

इससे पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शनिवार (27 अगस्त, 2022) को लगातार दूसरे दिन विधायक दल की बैठक बुलाई थी। इस बैठक में महागठबंधन यानी आरजेडी और कांग्रेस के विधायकों को भी बुलाया गया था। वहीं JMM अपने विधायकों को छत्तीसगढ़ भेजने की तैयारी में है। जिससे भाजपा की सरकार गिराने की रणनीति को रोका जा सके।

जानकारी के मुताबिक झारखंड के यूपीए विधायकों को छत्तीगढ़ भेजा जा सकता है। कुछ विधायक मुख्यमंत्री आवास पर बैग और सामान लेकर पहुंचे थे। इसी को देखते हुए अटकलें लगाई जा रही हैं कि विधायकों को ऐसे प्रदेश में शिफ्ट किया जा सकता है, जहां यूपीए की मजबूत सरकार है। ऐसे में छत्तीसगढ़ में ही विधायकों की शिफ्टिंग की अटकलें लगाई जा रही हैं।

सूत्रों के अनुसार, सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों को जरूरत पड़ने पर पश्चिम बंगाल या छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में भेजा जा सकता है। ताकि भाजपा के सरकार गिराने की रणनीति को रोका जा सके।

एक कांग्रेस नेता ने पीटीआई को बताया, ‘हमारे गठबंधन के विधायकों को छत्तीसगढ़ या पश्चिम बंगाल में भेजने की सभी व्यवस्थाएं की गई हैं। दोनों गैर-भाजपा सरकारों द्वारा संचालित हैं। तीन लग्जरी बसें विधायकों और सुरक्षाकर्मियों को सड़क मार्ग से पहुंचाने के लिए रांची पहुंच गई हैं। कुछ एस्कॉर्ट वाहन भी होंगे। वहीं दो बसें मुख्यमंत्री आवास से विधायकों को लेकर रवाना हो चुकी हैं।

वहीं मुख्यमंत्री आवास पर सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों की बैठक का तीसरा दौर चल रहा है। सूत्रों ने बताया कि सभी सत्तारूढ़ विधायक अपने सामान के साथ बैठक में शामिल हो रहे हैं।

एक अन्य सूत्र ने पीटीआई को बताया, ‘जरूरत पड़ने पर सभी सत्तारूढ़ विधायकों को एक ही स्थान पर भेजा जाएगा। सभी विधायक अपना सामान लेकर मुख्यमंत्री आवास पर महत्वपूर्ण बैठक में शामिल होने आए हैं, जो चल रही है।’

झारखंड की मिट्टी के नौजवान को आसानी से नहीं गिराया जा सकताः सोरेन

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आरोप लगाया है कि राजभवन में उन्हें सत्ता से बेदखल करने की साजिश रची जा रही है। सोरेन ने कहा कि पिछले चार-पांच महीने से हमको सत्ता से बेदखल करने के लिए, मेरा गला रेतने के लिए राजभवन में आरी बनाई जा रही है, लेकिन इन लोगों की आरी बन ही नहीं पा रही है। जो चीज भी लेकर आगे बढ़ते हैं वही टूट जाती है। हेमंत सोरेन ने कहा कि उनकी कोई भी साजिश सफल नहीं हो रही, क्योंकि उन्हें पता है कि झारखंड की मिट्टी के इस नौजवान को आसानी नहीं गिराया जा सकता है।

क्या है पूरा मामला-

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को रांची जिले के अनगड़ा ब्लॉक में 0.88 एकड़ जमीन का खनन पट्टा मिला था। दस्तावेजों के मुताबिक 28 मई 2021 को हेमंत सोरेन ने आवेदन दिया और उन्हें 15 जून 2021 को मंजूरी मिल गई थी। इसके बाद 9 सितंबर को पर्यावरण विभाग से मंजूरी मांगी गई जो 22 सितंबर को मिल गई। 11 फरवरी 2022 को बीजेपी ने राज्यपाल से मिलकर शिकायत की कि ये लाभ के पद का मामला बनता है और सीएम खुद के नाम से खनन पट्टा नहीं ले सकते। इसके बाद हेमंत सोरेन ने 11 फरवरी 2022 को लीज सरेंडर करके खुद को अलग कर लिया।

खनन मामले में हेमंत सोरेन सरकार के भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ तब शुरू हुआ था, जब झारखंड की खनन सचिव रह चुकी पूजा सिंघल के ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय ने छापेमारी शुरू की।