झारखंड भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के राजनीतिक सलाहकार सुनील तिवारी को बड़ी राहत मिली है। सुनील तिवारी के खिलाफ 2021 में दर्ज हुए बलात्कार मामले में शिकायतकर्ता ने रांची अदालत में केस वापसी की याचिका दायर की है। शिकायतकर्ता ने अपनी याचिका में कहा कि उसने आरोप की सत्यता को समझे बिना कुछ गलतफहमी के कारण बलात्कार का मामला दर्ज कराया था और वह मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहती है।
याचिका 11 जुलाई को उनके वकील अमरेंद्र प्रधान के माध्यम से दायर की गई थी और अदालत अब तय करेगी कि याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं। 16 जुलाई को ही अरघोड़ा पुलिस स्टेशन में सुनील तिवारी के खिलाफ आपराधिक धमकी के लिए दूसरी एफआईआर दर्ज की गई थी, जब बलात्कार पीड़िता ने 26 जून को सरकारी वकील को लिखा था कि उसे डराया जा रहा था।
अमरेंद्र प्रधान ने पुष्टि की कि शिकायतकर्ता 11 जुलाई को रांची अदालत में उपस्थित थी जब उसने व्यक्तिगत रूप से वापसी याचिका पर हस्ताक्षर किए थे। जब अमरेंद्र प्रधान से शिकायत दर्ज कराने के पीछे का कारण पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें ताजा एफआईआर के बारे में जानकारी नहीं है।
समझौते के लिए अदालत में पीड़िता की याचिका में कहा गया है कि उसने और सुनील तिवारी ने सामान्य मित्रों और शुभचिंतकों के हस्तक्षेप से अपने विवादों और मतभेदों को सुलझा लिया है और उसे आरोपी से कोई शिकायत नहीं है।”
याचिका में कहा गया है, “शिकायतकर्ता) आरोपी (सुनील तिवारी) के खिलाफ वर्तमान मामले (2021 बलात्कार मामले) को आगे नहीं बढ़ाना चाहती है। इसलिए न्याय के हित में इसका निपटारा किया जा सकता है। यह विनम्रतापूर्वक कहा गया है कि तत्काल आवेदन बिना किसी दबाव और अनुचित प्रभाव के स्वतंत्र इच्छा से किया गया है।”
रांची पुलिस पहले ही 2021 के बलात्कार मामले में सुनील तिवारी के खिलाफ एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम सहित अन्य धाराओं के तहत चार्जशीट दायर कर चुकी है। जून 2021 में सुनील तिवारी ने झारखंड के मुख्य सचिव और डीजीपी को भी पत्र लिखकर रिट आवेदनों के बाद उनके खिलाफ झूठे मामले की आशंका जताई थी।
