तीन साल पहले 2020 में जब जनता दल (यू) विधानसभा चुनाव में 43 सीट पाकर आरजेडी और भाजपा के बाद तीसरे पोजिशन पर थी, तब सीएम नीतीश कुमार ने कहा था कि वह गठबंधन सरकार का नेतृत्व करने के इच्छुक नहीं हैं। उन्होंने कहा था कि भाजपा को किसी और को मुख्यमंत्री बनाना चाहिए। तब कई लोगों की नजरों में यह उनकी सियासी चतुराई थी। नीतीश को इस बात की अच्छी तरह से समझ थी कि राज्य में उनकी जरूरत है। वह सातवीं बार राज्य के सीएम बनने जा रहे थे।

12 जून को पटना में होगी विपक्षी दलों की बड़ी बैठक

मुश्किल से तीन साल बाद ही, वह विपक्ष और गैर भाजपाई दलों को अपने पक्ष में करने और अपने साथ जोड़ने के काम में लग गये। विपक्षी दलों की पहली बड़ी आधिकारिक मीटिंग 12 जून को पटना में होने जा रही है। यह वाले नीतीश कुमार और पहले वाले नीतीश कुमार में काफी अंतर है। हालात भी काफी बदल गये हैं। कुछ लोगों की नजर में वह अब महागठबंधन के खेमे में हैं और अब भी अपनी कुर्सी संभाले हुए हैं, लेकिन बहुत से दूसरों के लिए यह उनकी सियासी निपुणता और कुछ गहरी चाल है। नीतीश को अच्छी तरह पता है कि वह और उनकी पार्टी ने 2010 के विधानसभा चुनाव से जो गिरावट देखी है, उनमें से अधिकतर बदलने वाला नहीं है।

पिछले कुछ महीनों में, नीतीश एक गैर-बीजेपी विपक्षी मंच बनाने के लिए लगातार सक्रिय हैं। उस खेमे में, जिसमें आपसी खींचतान और दबाव है, नीतीश ने 2024 के चुनावों से पहले विपक्षी एकता की झलक लाने में यकीनन कामयाबी हासिल की है। यानी कुछ ऐसा जो पिछले दो लोकसभा चुनावों से पहले नहीं हुआ था।

जदयू की वजह से तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी जैसे दलों के लिए कांग्रेस के साथ एक ही मेज पर एक साथ बैठना आसान हो गया है, नीतीश उड़ीसा के मुख्यमंत्री और बीजद नेता नवीन पटनायक के पास भी गए थे। हालांकि पटनायक ने किसी भी विपक्षी मोर्चे का हिस्सा होने से इनकार कर दिया है।

नीतीश के करीबी सहयोगी और जदयू के मुख्य प्रवक्ता के सी त्यागी ने पहले कहा था, “नवीन पटनायक, केसीआर और वाईएस जगन मोहन रेड्डी आगे बढ़ रहे है। जब तक वे भाजपा के विरोध में हैं, हम उम्मीद कर सकते हैं कि नीतीश कुमार का मेगा विपक्षी एकता का मिशन 2024 काम करने जा रहा है।”

जदयू के एक अन्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा, “उन्हें नेतृत्व करना था और भाजपा की ताकत से मुकाबला करने के लिए विपक्ष की उम्मीदों को फिर से जगाना था। नीतीश कुमार 2017 से पहले भी ऐसा प्रयास किये थे, लेकिन तब कांग्रेस ने उनकी कोई मदद नहीं की। अब हालात सही दिशा में है।”