हरियाणा के हिसार, हांसी और भिवानी शहरों में मंगलवार (23 फरवरी) को भी कर्फ्यू लगा हुआ है जबकि जाट आंदोलन के दौरान हुई हिंसा से सर्वाधिक प्रभावित रोहतक जिले में कर्फ्यू में चार घंटे की ढील दी गई। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने रोहतक का दौरा किया जहां हिंसक स्थिति को रोकने में पुलिस की कथित विफलता के विरोध में गुस्साए लोगों ने उनका घेराव किया। बहरहाल, यात्रियों को मंगलवार को थोड़ी राहत मिली क्योंकि जाट आंदोलनकारी राज्य के विभिन्न हिस्सों में सड़कों और रेल मार्गों पर की गई नाकेबंदी हटा रहे हैं।
पानीपत तक महत्वपूर्ण अंबाला-दिल्ली राजमार्ग पर यातायात बहाल हो गया है और अधिकारियों को उम्मीद है कि सोनीपत में स्थिति सामान्य होते ही आगे का यातायात भी बहाल हो जाएगा। रोजगार में आरक्षण की मांग को लेकर शुरू हुए जाट आंदोलन के दौरान हिंसा के कारण 19 लोगों की जान चली गई और बड़े पैमाने पर संपत्ति का नुकसान हुआ है। अधिकारियों ने बताया कि हिसार, हांसी और भिवानी शहरों में कर्फ्यू जारी है लेकिन जींद शहर से कर्फ्यू हटा लिया गया है।
बहरहाल, रोहतक और सोनीपत जैसे जाट बहुल इलाकों में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। रोहतक में कर्फ्यू में जिला प्रशासन ने चार घंटे की ढील दी ताकि लोग अपनी जरूरत का सामान खरीद सकें। यह शहर आंदोलन का केंद्र है और यहां इस आंदोलन के कारण जान-माल का सर्वाधिक नुकसान हुआ है। रोहतक पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘पिछले 24 घंटों में जिले में किसी अप्रिय घटना की कोई सूचना नहीं मिली है।’’ उन्होंने कहा कि हालात पूरी तरह सामान्य हो जाने तक जाट बहुल जिले में कर्फ्यू लगा रहेगा।
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रोहतक का दौरा करने पहुंचे मुख्यमंत्री खट्टर को गुस्साई भीड़ की नाराजगी का सामना करना पड़ा। लोगों ने पुलिस के खिलाफ नारे लगाए और ‘‘लुटेरों’’ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की। खट्टर को काले झंडे भी दिखाए गए और भीड़ ने धक्का मुक्की भी की। लोगों ने खट्टर के खिलाफ नारेबाजी भी की और शहर को बंधक बनाने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
मुख्यमंत्री के साथ मंत्री अभिमन्यु और ओ पी धनकड़ तथा मुख्य सचिव डी एस धेसी भी थे। खट्टर ने लोगों को आश्वासन दिया कि उन लोगों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी जिन्होंने दुकानों और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों को आग के हवाले किया तथा निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार उन सरकारी और पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी जिन्होंने दायित्व निभाने में किसी तरह की लापरवाही बरती है।
केंद्र सरकार की नौकरियों में आरक्षण के लिए जाटों की मांग पर विचार करने के लिए वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री एम वेंकैया नायडू की अध्यक्षता में भाजपा द्वारा नियुक्त उच्च अधिकार प्राप्त समिति ने खट्टर को इस विषय पर चर्चा के लिए दिल्ली बुलाया है।
एक अन्य घटनाक्रम में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने हरियाणा सरकार से मंगलवार को जाट आंदोलन पर सोमवार तक स्थिति रिपोर्ट पेश करने को कहा। इस बीच, जाट बहुल एक अन्य इलाके जींद से जिला प्रशासन ने कर्फ्यू हटा लिया है। जींद के उपायुक्त विनय सिंह ने फोन पर बताया, ‘‘हमने कर्फ्यू हटा लिया है। जींद जिले में हालात करीब 80 प्रतिशत सामान्य हो गए हैं लेकिन हम स्थिति पर नजर रखे हुए है।’’
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हिसार में जाट आंदोलनकारियों ने दिल्ली-हिसार रेल मार्ग साफ करते हुए जिले के मय्यड़ में रेल पटरी से मंगलवार को नाकेबंदी हटा दी। जाट प्रदर्शनकारियों के धरने पर बैठने के कारण रेल मार्ग 11 फरवरी को बंद कर दिया गया था। रेल अधिकारियों द्वारा मार्ग की जांच किए जाने के बाद यातायात बहाल किए जाने की उम्मीद है। हिसार के उपायुक्त चंद्रशेखर खरे ने बताया कि प्रदर्शनकारी घटनास्थल से चले गए हैं।
अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति (एआईजेएएसएस) के प्रवक्ता राम भगत मलिक ने संवाददाताओं से कहा कि जाट आरक्षण मामले पर केंद्र द्वारा उठाए गए कदम के मद्देनजर उन्होंने पटरी खाली कर दी है। एआईजेएएसएस ने समुदाय के लिए आरक्षण की मांग पर गौर करने के लिए केंद्रीय मंत्री के नेतृत्व में एक समिति गठित करने की भाजपा की घोषणा के मद्देनजर राष्ट्रीय एवं राज्य राजमार्गों पर से सोमवार (22 फरवरी) को धरना हटाने की घोषणा की थी। बहरहाल, दिल्ली तथा रोहतक, भिवानी और चंडीगढ़ सहित अन्य स्थानों के लिए बस सेवाएं बहाल नहीं हो पाई हैं क्योंकि राष्ट्रीय राजमार्ग पर अभी भी पेड़ों सहित कई अवरोधक हैं जिन्हें हटाया जा रहा है।
हिसार जिले के पांच गांवों में सोमवार (22 फरवरी) को जाटों और गैर जाटों के बीच टकराव होने के बाद तनाव बना हुआ है तथा कर्फ्यू भी नहीं हटाया गया है। सोमवार को जिले के अनुमंडल हांसी के सिसाई, पानो बोलां, काली रावा, सैनीपुरा और धानीपाल गांव में कर्फ्यू लगा दिया गया था। प्रभावित गांवों में सेना और पुलिस ने गश्त की।
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हरियाणा सरकार ने सोमवार (22 फरवरी) को कहा था कि जाट आंदोलन के दौरान जिन लोगों की निजी संपत्ति का नुकसान हुआ है उन्हें पूरा मुआवजा दिया जाएगा। राज्य सरकार ने जाट आंदोलन में हिंसा के दौरान मारे गए लोगों के परिजन को 10-10 लाख रुपए की अनुग्रह राशि देने की भी घोषणा की। इसके अलावा मृतकों के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाएगी और बेकसूर लोगों के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया जाएगा।