भाजपा ने जम्मू-कश्मीर की विपक्षी पार्टियों पर घाटी में जारी अशांति को भड़काने का आरोप लगाया है। भाजपा ने कहा है कि यह ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ है कि जो लोग यहां लंबे समय तक सत्ता में रहे हैं और कश्मीर में समस्याओं के लिए जिम्मेदार हैं, अब वे ‘यहां आग में घी डालने का काम कर रहे हैं।’ पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस समेत विभिन्न पार्टियों का प्रतिनिधिमंडल एक दिन पहले ही प्रणब मुखर्जी से मिला था। कश्मीर मसले को ‘राजनीतिक मुद्दा’’ नहीं मानने के लिए प्रतिनिधिमंडल ने केंद्र पर हमला भी बोला था। हालांकि इस मुलाकात को भाजपा ने महज ‘दिखावा’ करार दिया है।
भाजपा के राष्ट्रीय सचिव श्रीकांत शर्मा ने कहा, ‘यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिन पार्टियों ने कश्मीर की सत्ता में लंबे समय तक राज किया है और जिनकी वजह से घाटी में समस्याएं बनी हुई हैं, वे अब यहां आग भड़काने का काम कर रहे हैं। राष्ट्रपति से उनकी मुलाकात महज दिखावा है।’ उन्होंने बताया कि नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस दोनों ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह के कश्मीर दौरे के दौरान बुलाई गई बैठक का बहिष्कार किया था। यही नहीं, वे श्रीनगर में 15 अगस्त के उस आयोजन में भी शरीक नहीं हुए थे जिसमें मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने तिरंगा फहराया था।
शर्मा ने कहा, ‘अभी जरूरत है कि सभी राजनीतिक पार्टियां एक सुर में बोलें और पाकिस्तान जो घाटी में अशांति के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है उसकी साजिश को नाकाम कर दें।’ उन्होंने घाटी में शांति की बहाली के लिए आधिकारिक तौर पर प्रयास करने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘लोग जानते हैं कि पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की गलती ही कश्मीर समस्या की जड़ है।’ उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर की विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने शनिवार (20 अगस्त) को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात कर उनसे अनुरोध किया था कि वे केंद्र को समस्या का ‘राजनीतिक हल’ निकालने के लिए कहें।