सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए गृह मंत्रालय ने लोकसभा को बताया है कि जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट औऱ टेलीकॉम सेवाओं को बंद करने से संबंधित जानकारी नहीं दी जा सकती है। लोकसभा की जनरल सेक्रटरी स्नेहलता श्रीवास्तव को गृह मंत्रालय के सेक्रटरी अजय भल्ला ने पत्र लिखकर बताया, ‘जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा की स्थिति को देखते हुए दूरसंचार और इंटरनेट सेवाओं को बंद करने की डीटेल साझा नहीं की जा सकती। यही वहां के लोगों और राज्य के हित में है।’
उन्होंने अपने पत्र में यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट को बंद करने का मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है। लोकसभा में प्रोसीजर ऐंड कंडक्ट ऑफ बिजनस के रूल 270 का प्रयोग करते हुए उन्होंने कहा, ‘स्टेट की सुरक्षा से संबंधित किसी दस्तावेज को पेश करने से सरकार इनकार कर सकती है।’
कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलजी की संसदीय स्थायी समिति ने इस मामले में गृह मंत्रालय के प्रतिनिधि को पेश होने के लिए कहा था। अडिशनल सेक्रटरी गोविंद मोहन पैनल के सामने पेश हुए लेकिन सूत्रों का कहना है कि उन्होंने इंटरनेट बंद करने से संबंधित कोई जानकारी देने से इनकार कर दिया। जब उनसे अन्य राज्यों में संचार सेवाएं बंद करने के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, ऐसा कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए किया गया है।
गृह सचिव भल्ला ने अपने पत्र में कहा, ‘लोकसभा सचिवालय से वेरिफाइ कर लिया गया है कि कमिटी जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट बंद करने पर बात करना चाहती है। गृह मंत्रालय पहले ही 16 अक्टूबर 2020 में इस संबंध में अपनी बात रख चुका है। इसके अलावा और कुछ कहने की जरूरत नहीं है।’
पूर्व लोकसभा सेक्रटरी जनरल पीडीटी आचार्य ने भी कहा कि देश की सुरक्षा से संबंधित मामलों में सरकार स्थायी समिति के सामने दस्तावेज पेश करने से इनकार कर सकती है। लोकसभा स्पीकर पहले ही सभी पैनल हेड से कह चुके हैं कि ऐसे मुद्दों को न लिया जाए जो कि न्यायालय के पास पेंडिंग हैं। इसके बाद भी थरूर ने स्पीकर को जवाब देते हुए कहा था कि इंटरनेट कनेक्शन का मामला अब न्यायालय में नहीं है औऱ 16 अगस्त को केंद्र ने गांदरबल और उधमपुर में ट्रायल बेसिस पर 4G इंटरनेट सेवा ट्रायल बेसिस पर शुरू करने की अनुमति दी थी।