जम्मू कश्मीर में तेजी से बदले राजनीतिक घटनाक्रम के तहत पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने सरकार बनाने का दावा पेश किया था। लेकिन इसके कुछ ही देर बाद, राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बुधवार (21 नवंबर) की रात राज्य विधानसभा को भंग कर दिया। उन्होंने कहा कि प्रदेश के संविधान के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत यह कार्रवाई की गयी है। इसके बाद पिछली सरकार में साथ रही भाजपा ने पीडीपी को आतंक प्रेमी पार्टी बता दिया। साथ ही राज्यपाल के फैसले को सही ठहराया। भाजपा ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर कहा कि नया गठबंधन ‘आतंक प्रेमी पार्टियों’ का है। बता दें कि पीडीपी ने प्रतिद्वंद्वी नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश किया था। वहीं दूसरी तरफ दो सदस्यों वाली पीपुल्स कांफ्रेंस ने भी भाजपा और अन्य पार्टियों के 18 विधायकों के समर्थन से सरकार बनाने का दावा किया।

कई महीनों तक पीडीपी के साथ गठबंधन में शामिल रही भाजपा ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक के फैसले को सही ठहराते हुए ट्वीट कर कहा, “आतंकवाद से निपटने के लिए जम्मू-कश्मीर को एक दृढ़ इच्छाशक्ति वाली सरकार चाहिए, आंतक प्रेमी पार्टियों का गठबंधन नहीं।” अगले ट्वीट में कहा गया, “जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए क्या हाॅर्स ट्रेडिंग और अस्थिरता का खतरा उठाया जा सकता है?” एक और ट्वीट में यह कमेंट किया गया, “सबसे बेहतर उपाय यह है कि राज्य में फिर से चुनाव हो। यह विधानसभा एक स्थिर सरकार नहीं दे सकती है।”

जम्मू में भाजपा ईकाई विपक्षी दलों के गठबंधन के कदम को पाकिस्तान की चाल के रूप में देख रही है। वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री कविंद्र गुप्ता ने कहा, “पाकिस्तान के निर्देशों पर ऐसा हो रहा है कि पहले पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस ने स्थानीय निकाय चुनाव का विरोध किया और अब दोनों एक साथ गठबंधन कर सरकार बनाने की कोशिश कर रहे हैं।” भाजपा नेता गुप्ता ने पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष युदवीर सेठी और महासचिव नरिंद्र सिंह के साथ दावा किया कि इनमें से कुछ पाकिस्तान समर्थक लोगों ने हाल ही में दुबई और लंदन में बैठक की है।

भाजपा नेता ने यह भी दावा किया कि जम्मू और लद्दाख में इन पार्टियों को आम जनता के विरोध का सामना करना पड़ेगा। इनका 90 प्रतिशत समर्थन सिर्फ कश्मीर में है। गुप्ता ने कहा कि यह कदम उनके ताबूत में अखिरी कील साबित होगा। 2014 विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा और पीडीपी गठबंधन के बारे में पूछे जाने पर गुप्ता ने कहा, “वह विकास के एजेंडे के आधार पर किया गया था। हालांकि, जब पार्टी ने यह देखा कि पीडीपी जम्मू और लद्दाख के साथ न्याय नहीं कर रही है, पत्थरबाजों को संरक्षण दे रही है और सुरक्षा बलों के खिलाफ केस दर्ज किए जा रहे हैं, भाजपा ने समर्थन वापस ले लिया।”