Jammu Kashmir: जम्मू कश्मीर के शोपियां से पिछले दिनों 9 कश्मीरी पंडित परिवारों के पलायन पर सियासत तेज है। नेशनल काफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से इस मामले में तुरंत दखल देने की मांग की है। कई कश्मीरी पंडित परिवार, जो पहले कभी घाटी से नहीं गए थे, टार्गेट किलिंग के बाद पलायन कर रहे हैं और अन्य राज्यों में प्रवासी स्थिति के लिए आवेदन कर रहे हैं। ऐसे में जम्मू और कश्मीर सरकार पर सब ठीक है कहने का दबाव बढ़ रहा है।
13 पंडित परिवारों के एक समूह ने प्रवासियों के लिए जम्मू स्थित राहत आयुक्त को एक पत्र में कहा है, “हम वहां खतरे में रहने के लिए तैयार नहीं हैं और अपने परिवारों के साथ जम्मू चले गए हैं। हमारे माता-पिता, पत्नियां और छोटे बच्चे हत्या के बाद सदमे में हैं।” इन परिवारों ने प्रवासियों के रूप में पंजीकरण की मांग की है जिसमें वित्तीय और अन्य सहायता शामिल है।
कश्मीरी पंडितों का घाटी से प्रस्थान जारी: अधिकारियों ने जानकारी देते हुए कहा कि पिछले 12 सालों में प्रधानमंत्री के वापसी और पुनर्वास पैकेज के तहत घाटी में लौटे 5,554 पंडित कर्मचारियों में से 4,000 से अधिक कर्मचारी राहुल भट की मई में हत्या के बाद से भाग गए हैं। हालांकि, इन दिनों कश्मीरी पंडितों का घाटी से प्रस्थान राजनीतिक रूप से प्रशासन के लिए अधिक शर्मनाक हैं क्योंकि ये परिवार 1990 में उग्रवाद के शुरुआती दिनों में भी कश्मीर में रह गए थे जब उनके हजारों भाई चले गए थे।
सरकार घाटी में रह रहे पंडितों की रक्षा करने में विफल: ये परिवार अब आधिकारिक रूप से प्रवासी का दर्जा चाहते हैं, मुख्य रूप से जम्मू और दिल्ली में। पिछले पांच वर्षों से प्रवासी दर्जे पर इस आधार पर रोक लगा दी है कि पंडितों को अब घाटी में कोई खतरा नहीं है। वहीं, भाजपा के कश्मीर पंडित चेहरा, अश्विनी कुमार चुंगू ने मंगलवार को स्वीकार किया कि सरकार घाटी में रह रहे पंडितों की रक्षा करने में विफल रही है। उन्होंने प्रवासियों के पंजीकरण पर रोक हटाने का आह्वान किया।
इससे पहले 18 अक्टूबर 2022 को आतंकियों द्वारा कश्मीरी पंडित पूरन कृष्ण भट की हत्या के बाद कश्मीरी पंडित समुदाय में दहशत है। यही कारण है कि चौधरी गुंड गांव से सभी कश्मीरी पंडित परिवार पलायन कर जम्मू चले गए हैं।