जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने नजरबंद किए गए जम्मू के लगभग सभी नेताओं को हिरासत से आजाद कर दिया है। 5 अगस्त 2019 को मोदी सरकार के बड़े फैसलों के मद्देनजर एहतियातन जम्मू-कश्मीर के कई नेताओं और अलगाववादियों को नजरबंद कर दिया था। Jammu-Kashmir को केंद्र शासित प्रदेश बनाने और Article 370 के अधिकांश प्रावधानों को खत्म करने के फैसले से पहले प्रशासन ने कई नेताओं को हिरासत में लिया था। प्राप्त जानकारी के मुताबिक जम्मू में नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस और जम्मू-कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी के लगभग सभी नेताओं को हिरासत से आजाद कर दिया गया है।
उमर-फारूक-महबूबा को राहत नहींः आजाद हुए नेताओं में नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता देवेंद्र राणा और एसएस सलाठिया, कांग्रेस के रमन भल्ला और जम्मू-कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी के हर्षदेव सिंह भी शामिल हैं। लगभग दो महीनों तक सभी नजरबंद रहे। हालांकि अभी भी राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और फारूक अब्दुल्ला, जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के सज्जाद गनी लोन और अन्य कई नेताओं को अभी भी नजरबंद ही रखा है।
‘हिरासत में नहीं मेहमानों की तरह रखा ध्यान’: जम्मू-कश्मीर प्रशासन और बीजेपी के प्रमुख नेताओं ने नजरबंदी के इस फैसले का समर्थन किया। हाल ही में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा था कि 18 महीनों से अधिक समय तक किसी भी नेता को हिरासत में नहीं रखा जाएगा। साथ ही उन्होंने यह भी कहा था, ‘वे नजरबंद नहीं है, बल्कि उन्हें मेहमानों की तरह सुविधाएं दी जा रही हैं। उन्हें वीआईपी बंगलों में रखा गया है। हॉलीवुड फिल्मों की सीडी, जिम की सुविधा भी दी गई है।’ बीजेपी नेता राम माधव ने भी कहा था कि कश्मीर में हिरासत में लिए गए लगभग 200 से 250 नेताओं को फाइव स्टार सुविधाएं मिल रही हैं।
नजरबंद नेताओं पर राम माधव का निशानाः माधव ने कहा कि शुरुआत में करीब दो से ढाई हजार लोगों को एहतियातन हिरासत में रखा गया था लेकिन बाद में संख्या घटाकर 200 से 250 कर दी गई। उन्होंने कहा कि दो महीनों से कश्मीर में शांति है, अब आप समझ सकते हैं कि कश्मीरी क्या चाहते हैं और ये 200-250 लोग क्या चाहते हैं।’
सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामलाः बता दें कि हाल ही में पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत जब फारूक अब्दुल्ला को हिरासत में लिया गया था तो घाटी में विरोध प्रदर्शन हुए थे। राज्य में नेताओं को हिरासत में लिए जाने के खिलाफ करीब 250 रिट याचिकाएं भी दाखिल की गईं। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में भी याचिकाएं दाखिल की गई थीं।