जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि वे इसी साल अक्टूबर के अंत तक सरकारी बंगले को खाली कर देंगे। नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी के नेता उमर ने अपनी चिट्ठी कश्मीर प्रशासन से साझा की। इसमें उन्होंने कहा कि यह जानकारी इसलिए दी गई है, क्योंकि मीडिया में कई खबरें प्लांट की गई थीं। उमर ने एक ट्वीट के जरिए बताया कि उन्हें बंगला खाली करने का कोई नोटिस नहीं मिला, बल्कि यह फैसला उन्होंने अपनी मर्जी से लिया है। ट्वीट में उन्होंने अपनी चिट्ठी की फोटो भी पोस्ट की।

बता दें कि 50 साल के उमर अब्दुल्ला को श्रीनगर के वीवीआईपी इलाके गुपकर रोड में 2002 में सरकारी बंगला मिला था, जब वे श्रीनगर से ही सांसद बने थे। उमर ने बताया कि उन्होंने इस बंगले और बगल के घर को जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए अपने आधिकारिक निवास के तौर पर अक्टूबर 2010 से जनवरी 2015 तक इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा कि नियमों के मुताबिक, वे श्रीनगर या जम्मू में सरकारी आवास रख सकते थे, इसलिए इतने सालों से वे श्रीनगर में ही रह रहे थे।

हालांकि, अनुच्छेद 370 के खत्म होने और जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद पूर्व मुख्यमंत्रियों को मिलने वाले आवास के नियमों में भी बदलाव हुए हैं। इस पर उमर ने कहा कि नियमों में बदलाव के बाद आवास पर मेरा कब्जा अनाधिकृत था और सुरक्षा और अन्य मामलों को देखते हुए भी इसका अलॉटमेंट करने की कोशिश नहीं की गई। यह स्थिति अस्वीकार्य थी। उमर ने साफ किया कि उन्होंने कभी वह सरकारी प्रॉपर्टी नहीं रखी, जिस पर उनका हक नहीं और अब उनका ऐसा करने का कोई इरादा नहीं।

उमर अब्दुल्ला ने पत्र में बताया है कि कोरोनावायरस महामारी की वजह से उन्हें दूसरा घर ढूंढने में समय लग रहा है। बता दें कि उन्हें इसी साल 24 मार्च को आठ महीनों की लंबी नजरबंदी से मुक्त किया गया था। उन्हें 5 अगस्त को कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद श्रीनगर के ही घर में नजरबंद कर दिया गया था। उनके अलावा उनके पिता फारूक अब्दुल्ला और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को भी नजरबंद किया गया था। जहां फारूक को कुछ समय बाद छोड़ दिया गया, वहीं महबूबा अब भी बंद हैं।