Jamia Violence Case: दिल्ली हाई कोर्ट ने 2019 के जामिया हिंसा मामले में शारजील इमाम, आसिफ इकबाल तन्हा, सफूरा जरगर और आठ अन्य को आरोप मुक्त करने के खिलाफ दिल्ली पुलिस द्वारा दायर अपील पर नोटिस जारी किया। जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि इस मामले में ट्रायल कोर्ट की टिप्पणियों का पुलिस की आगे की जांच या मुकदमे पर कोई असर नहीं पड़ेगा। मामले की अगली सुनवाई 16 मार्च को होगी।

इस मामले में साकेत कोर्ट ने 4 फरवरी को शरजील इमाम, आसिफ इकबाल तन्हा, सफूरा जरगर, मो. अबुजर, उमैर अहमद समेत 11 लोगों को आरोप मुक्त करते हुए कहा था कि उन्हें पुलिस ने बलि का बकरा बनाया है। कोर्ट ने अपनी राय रखते हुए इन शरजील व अन्य लोगों के कदम को विरोध माना था। पुलिस को नसीहत दी थी कि वह विरोध और बागावत में अंतर को समझे। कोर्ट ने यह भी कहा था कि इन लोगों की मिलीभगत से हिंसा हुई, इसका कोई प्रमाण नहीं है।

दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को हाई कोर्ट में शरजील इमाम सहित 11 लोगों को बरी करने के निचली अदालत के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। पुलिस ने याचिका में कहा कि निचली अदालत का आदेश न्याय की कसौटी पर खरा नहीं उतरता, क्योंकि पुलिस द्वारा पेश साक्ष्यों पर गौर नहीं किया गया। उससे पहले मिनी ट्रायल करते हुए मामले में निर्णय सुना दिया। इस याचिका को अभी सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं किया गया है।

पुलिस ने दावा किया कि जामिया हिंसा में चश्मा टूटने की बात शरजील ने 16 जनवरी 2020 को अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी में भाषण के दौरान कही थी, जो हिंसा में उसकी मौजदूगी को दर्शाती है। इस मामले में एक आरोपित के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश कोर्ट ने किया था।

13 दिसंबर, 2019 जामिया में हुई थी हिंसा

बता दें, नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) के विरोध में 13 दिसंबर, 2019 को दिल्ली के जामिया से शुरू मार्च के दौरान हिंसा हुई थी। इस दौरान पुलिस पर पथराव किया गया था। पुलिस ने जवाबी कार्रवाई की थी। इस मामले की जांच स्टार्ट में जामिया नगर थाना पुलिस को दी गई थी। इसके बाद केस को क्राइम ब्रांच को दे दिया गया था। मामले में शरजील इमाम समते कई आरोपी बनाए गए थे। शरजील पर आरोप था कि उसने भड़काऊ भाषण दिया था।