अनुचित व्यवहार के लिए जामिया मिल्लिया इस्लामिया के प्रोफेसर ओबैद सिद्दिकी को विश्वविद्यालय ने निलंबित कर दिया है। उनके खिलाफ विश्वविद्यालय ने अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू करने का फैसला किया है। जामिया के जनसंचार केंद्र के पूर्व निदेशक सिद्दिकी पर विश्वविद्यालयी जांच चल रही थी। जामिया के प्रवक्ता मुकेश रंजन ने इस बात की पुष्टि की और कहा कि प्रोफेसर को जामिया कानून के प्रावधानों के तहत अनुचित व्यवहार के आरोपों के आधार पर और विश्वविद्यालय के सर्वोत्तम हित में निलंबित किया गया है। जिन हालात में यह फैसला किया गया है उससे विश्वविद्यालय के कार्यकारी परिषद को अवगत कराया जाएगा।

प्रोफेसर ओबैद सिद्दिकी ने विश्वविद्यालय के कामकाज में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को पत्र लिखा था। प्रोफेसर ओबैद सिद्दिकी को मंगलवार दो बजे से तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है। विश्वविद्यालय की ओर से भेजे गए पत्र में कहा गया है कि विश्वविद्यालय ने उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की है और उन्हें तीन महीने के लिए निलंबित कर दिया गया है।

जामिया के इस प्रोफेसर ने राष्ट्रपति को एक अर्जी भेजी थी जो विश्वविद्यालय के विजिटर हैं। प्रोफेसर ने अर्जी में विश्वविद्यालय के संचालन में वित्तीय व प्रशासनिक अनियमितताओं का आरोप लगाया था। इसके अलावा जामिया मिल्लिया इस्लामिया कर्मचारियों के आश्रितों के लिए पांच फीसद सीटों का आरक्षण शुरू करने पर भी आपत्ति जताई थी।

उन्होंने दावा किया है कि दिल्ली हाई कोर्ट ने 1997 में ऐसी ही एक व्यवस्था रद्द कर दी थी। सिद्दिकी ने इस हफ्ते के शुरू में यह आरोप लगाते हुए पुलिस सुरक्षा की मांग की थी कि उन्हें पत्र भेजने के लिए गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी गई है। विश्वविद्यालय का यह भी कहना है कि सिद्दिकी का विश्वविद्यालय के अधिकारियों के समक्ष अपनी चिंताएं रखे बिना राष्ट्रपति से संपर्क करना भी अनुचित है।