UP Bypolls 2024: उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है। ऐसे में बीजेपी लोकसभा चुनाव में लगे झटके की भरपाई करने की पुरजोर कोशिश कर रही है। लेकिन भाजपा की यह कोशिश कानपुर में समाजवादी पार्टी के सबसे सुरक्षित किलों में से एक सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र पर कारगर होती नहीं दिख रही है। मुस्लिम, ब्राह्मण और दलित मतदाता बहुल्य इस सीट पर पिछले कई चुनावों में समाजवादी पार्टी आसानी से जीत हासिल करती रही है।

2022 में भाजपा ने कद्दावर नेता सलिल विश्नोई को मैदान में उतारा था। लेकिन वह इरफान सोलंकी को हरा नहीं सके। महिला के प्लॉट पर आगजनी के मुकदमे में जून में 7 साल की सजा होने के बाद इरफान की विधानसभा सदस्यता खत्म हो गई। इस बार इरफान भले मैदान में नहीं हैं, लेकिन सपा उनकी पत्नी नसीम सोलंकी को मैदान में उतारने का मन बना रही है।

90 के दशक से सोलंकी परिवार का कब्जा

कानपुर में समाजवादी राजनीति के फलक पर 90 के दशक में हाजी मुश्ताक सोलंकी का नाम उभरा। हाजी आर्यनगर सीट से विधायक बने और इसके बाद लगातार चुनाव जीतते रहे। हाजी हिंदुओ और मुसलमानों में बराबर लोकप्रिय थे। 2006 में हाजी का इंतकाल हो गया। इसके बाद उनकी राजनीतिक विरासत उनके बड़े बेटे इरफान सोलंकी ने संभाली।

2007 में इरफान सोलंकी आर्यनगर सीट से जीते। 2012 में परिसीमन के बाद सीट बदलकर सीसामऊ हो गई, लेकिन मुस्लिम मतदाताओं के भरोसे पर इरफान खरे उतरते रहे।

2017 की प्रचंड मोदी लहर में भी इरफान ने बीजेपी के सुरेश अवस्थी को हरा दिया। 2022 के चुनावों में एक वक्त इरफान सोलंकी कमजोर लग रहे थे, लेकिन जबरदस्त धुव्रीकरण के बीच इरफान 12 हजार मतों से सलिल विश्नोई को हराने में कामयाब रहे।

भाजपा के सभी प्रयोग असफल

2012 से ही बीजेपी ने ब्राह्मण, दलित, सिंधि और पंजाबी मतदाताओं के जरिए मैदान फतह करने की कोशिश की, लेकिन हर बार निराशा ही हाथ लगी। 2012 और 2017 में ब्राह्मण प्रत्याशी उतारे गए थे। 2022 में कुछ बदलाव कर सलिल विश्वनोई को टिकट दिया गया, लेकिन आर्यनगर सीट से सीसामऊ सीट पर जाना सलिल को भारी पड़ गया। दोनों क्षेत्रों के बीजेपी कार्यकर्ताओं में टकराव हुआ। इसके अलावा सीसामऊ के ब्राह्मण मतदाता किसी वैश्य प्रत्याशी को पचा नहीं सके। बीजेपी ने यहां जीत के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का रोड शो तक कराया था, लेकिन उसके बावजूद भी बीजेपी सीसामऊ जीत नहीं सकी।

बीजेपी की अंदरूनी चुनौतियां

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में कानपुर में बीजेपी के सीसामऊ कार्यकर्ताओं की बैठक ली थी। इसमें उन्होंने मंडल और मोर्चा अध्यक्षों से सीधे बात कर तैयारियों का जायजा लिया। 10 सितंबर तक मंडल और विस क्षेत्र स्तर तक सम्मेलन करवाने का निर्देश दिया।

सीएम योगी ने उम्मीद जताई कि सितंबर में उपचुनाव घोषित कर दिए जाएंगे। लेकिन बीजेपी की अंतर्कलह काफी बड़ी है। कार्यकर्ताओं की शिकायत है कि नगर निगम ने बीजेपी के वोटरों के क्षेत्र में काम ही नहीं करवाए। मूलभूत सुविधाएं क्षेत्र में नहीं हैं। यहां से सुरेश अवस्थी, सलिल विश्नोई, उपेंद्र पासवान कई नेता टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। ब्राह्मण या वैश्य प्रत्याशी की स्वीकार्यता बढ़ाना भी चुनौती होगी। कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करना भी अहम है। वहीं दलित वोटरों को रिझाने के लिए बीजेपी बृजलाल को भी लगा चुकी है। इस उपचुनाव में बीजेपी ने प्रदेश के वरिष्ठ मंत्री सुरेश खन्ना को लगाया है। जबकि कई मंत्री अब तक जातिगत सम्मेलन करा चुके हैं।

सपा के सामने चुनाव प्रबंधन की चुनौती

वर्तमान राजनीतिक माहौल में सपाइयों को भरोसा है कि इरफान की विधायकी खत्म होने के बाद मुस्लिम वोटरों के बीच सहानुभूति की लहर चल पड़ी है। इसलिए इरफान पत्नी नसीम सोलंकी का उतारने का फायदा मिल सकता है। चुनावों में कठिन परिस्थितियों में इरफान की मां भी झोली फैलाकर वोट मांगने निकलती हैं। इसके अलावा हिंदू मतदाताओं से इरफान के परिवार से सीधे संबंध हैं, लेकिन सपा की बड़ी चुनौती मैनेजमेंट की है। देखना दिलचस्प होगा कि इऱफान की गैर माजूदगी में सोलंकी परिवार कार्यकर्ताओं और चुनाव का प्रबंधन कैसे करता है। सपा खेमे की दूसरी बड़ी समस्या यह हो सकती है कि अब तक खुलकर इरफान की मदद करने वाले इस बार शायद सीधे तौर पर मदद करने से कतराएं। बीते दिनों सपा ने चिट्ठी जारी कर आरोप लगाया था कि कुछ खास वर्ग के बूथ लेवल अफसरों को प्रशासन ने हटा भी दिया। जिसने काफी सुर्खियां बटोरी थीं।

जातियों का गणित

सीसामऊ में जातीय गुणा-गणित की बात करें तो यहां करीब 3.40 लाख मतदाता हैं। अनुमान है कि यहां 1.10 लाख मुस्लिम, 80 हजार ब्राह्मण, 60 हजार दलित, 30 हजार वैश्य और कायस्थ के अलावा करीब 15 हजार सिख मतदाता हैं। माना जाता है कि समाजवादी पार्टी को करीब 80 प्रतिशत तक मुस्लिम वोट मिलते हैं। इसके अलावा दूसरे वर्ग के वोटरों के हर बूथ पर 10 प्रतिशत से 15 प्रतिशत वोट भी सपा प्रत्याशी के खाते में जाते हैं।