बिहार सरकार में जल्द मंत्रिमंडल विस्तार होने की संभावना जताई जा रही है। खबर है कि नए साल में मकर संक्रांति के बाद नीतीश कुमार की सरकार कैबिनेट विस्तार कर सकती है। इस संभावित विस्तार में जदयू के 6 और भाजपा के 4 नेता मंत्री बनाए जा सकते हैं।
फिलहाल नीतीश मंत्रिपरिषद में 10 मंत्री पद खाली हैं। इनमें से 6 पद जदयू कोटे के और 4 पद भाजपा कोटे के हैं। नियमों के मुताबिक, बिहार में मुख्यमंत्री सहित अधिकतम 36 मंत्री बनाए जा सकते हैं।
एनडीए के तय फार्मूले के अनुसार, भाजपा के हिस्से में 17 मंत्री पद, जदयू के खाते में 15, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को 2, जबकि जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को एक-एक मंत्री पद मिलना है। ऐसे में मौजूदा समीकरणों को देखें तो जदयू अभी 6 मंत्री और बना सकती है, वहीं भाजपा भी अपने 4 नए चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल कर सकती है।
आज तक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस बार मंत्रिमंडल विस्तार में जातिगत और सामाजिक संतुलन का विशेष ध्यान रखा जाएगा। जदयू की कोशिश कुशवाहा और अति पिछड़ा वर्ग को साधने की हो सकती है। वर्तमान में नीतीश मंत्रिमंडल में कई मंत्रियों के पास एक से अधिक विभाग हैं। उदाहरण के तौर पर, जदयू के विजेंद्र प्रसाद यादव के पास पांच विभाग हैं, जबकि विजय चौधरी, श्रवण कुमार और सुनील कुमार के पास दो-दो विभागों की जिम्मेदारी है।
भाजपा की बात करें तो वहां भी विजय सिंह, मंगल पांडे और अरुण शंकर प्रसाद के पास एक से अधिक विभाग हैं। ऐसे में मंत्रिमंडल विस्तार के जरिए विभागों का बंटवारा अधिक संतुलित और प्रभावी तरीके से किया जा सकता है। जानकारी के लिए बता दें कि पिछले बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए ने अप्रत्याशित रूप से शानदार प्रदर्शन किया था। एनडीए को 200 से ज्यादा सीटें मिली थीं, जबकि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का आंकड़ा 30 सीटों के पार भी नहीं जा सका था।
