दिल्ली में प्रदूषण से निपटने के लिए कृत्रिम बारिश का प्रारंभिक ट्रायल शुरू हो गया है। पहला परीक्षण बुराड़ी सहित कई इलाके में किया गया है। इस प्रक्रिया को “क्लाउड सीडिंग” कहा जाता है, जिसमें एक विशेष विमान का उपयोग करके बादलों में रासायनिक पदार्थ छोड़े जाते हैं ताकि वे भारी होकर बारिश कर सकें। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने इसकी पुष्टि की लेकिन कोई विवरण नहीं दिया।
क्लाउड सीडिंग मिशन के लिए रवाना हुआ विमान
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक गुरुवार को एक विमान क्लाउड सीडिंग मिशन के लिए रवाना हो गया है। उन्होंने कहा कि हालांकि अभी भी यह ट्रायल है और उपयुक्त बादल बनने का इंतजार है।’ सूत्र ने बताया कि आईआईटी कानपुर से मेरठ, खेकड़ा, बुराड़ी, सादकपुर, भोजपुर, अलीगढ़ होते हुए दिल्ली क्षेत्र तक और वापस आईआईटी कानपुर तक एक ट्रायल सीडिंग उड़ान भरी गई, जिसमें खेकड़ा और बुराड़ी के बीच और बादली क्षेत्र में पायरो तकनीक का उपयोग करके क्लाउड सीडिंग फ्लेयर्स दागे गए। यह उड़ान क्लाउड सीडिंग की क्षमताओं, विमान की तैयारी और क्षमता, क्लाउड सीडिंग फिटिंग और फ्लेयर्स की क्षमता का आकलन, और सभी संबंधित एजेंसियों के बीच समन्वय की जाँच के लिए एक परीक्षण उड़ान थी।
मनजिंदर सिंह सिरसा ने क्या कहा?
बता दें कि एक दिन पहले ही दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा था कि जाड़ों में दिल्ली-एनसीआर के जहरीले कोहरे (स्मॉग) को साफ करने के उद्देश्य से किए जाने वाले बहुप्रतीक्षित कृत्रिम बारिश के प्रयोग के लिए उपयुक्त बादल नहीं हैं। अगर मौसम की स्थितियां अनुकूल बनती हैं,तो अगले तीन दिनों में कभी भी कृत्रिम बारिश कराई जा सकती है। अधिकारियों ने बताया कि यह ऑपरेशन अत्यंत गोपनीय है और इसका विवरण पूरा होने के बाद ही साझा किया जाएगा।
शुरुआत में यह जुलाई के लिए निर्धारित थी,लेकिन इसे मॉनसून के कारण,फिर बदलते मौसम के व्यवधानों के कारण इसे टाला गया और अब यह उपयुक्त बादलों की कमी के कारण रुका हुआ है।
