बिहार में एक परिवार ने सरकारी महकमे पर गंभीर आरोप लगाएं हैं। परिवार का कहना है कि उत्पाद विभाग ने उनके बेटे को दो दिनों तक बुरी पीटा गया जिससे उसकी मौत हो गई। परिवार को इसकी जानकारी भी नहीं दी गई। मामला राजधानी पटना में मीठापुर स्थित बस स्टैंड का है। आरोप है उत्पाद विभाग की टीम ने 23 नवंबर को नशे में धुत्त राजेश पांडे को उस समय में पकड़ लिया जब वो मीठापुर बस स्टैंड से पैदल जा रहे थे। पकड़ने के बाद उन्हें जेल नहीं भेजा गया बल्कि दो दिनों तक उनकी खूब पिटाई की।

रिपोर्ट के मुताबिक राजेश की हालत ज्यादा बिगड़ने पर उन्हें 25 नंवबर को कोर्ट में पेश किया गया। इसके बाद इलाज के लिए उन्हें जेल के हॉस्पिटल में शिफ्ट कर दिया मगर रविवार सुबह राजेश की मौत हो गई। स्थानीय रिपोर्ट के अनुसार मृतक राजेश की पीठ, सिर, कमर और शरीर के अन्य हिस्सों में 100 से भी अधिक जख्म के निशान थे।

मृतक की बहन किरण का आरोप है कि भाई की गिरफ्तारी के बाद परिवार को जानकारी भी नहीं दी गई। कलेक्ट्रेट स्थित सेल में दो दिनों तक उसकी खूब पिटाई की गई। दरअसल राजेश पर शराब पीने का आरोप था। बिहार में शराब पर प्रतिबंध है मगर सवाल उठता है कि किस कानून के तहत राजेश को 24 घंटे बाद भी हिरासत में रखा गया।

इधर बिहार में विधि व्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की समीक्षा बैठक के एक दिन बाद पुलिस मुख्यालय ने राज्य में पूर्ण शराबबंदी के बावजूद शराब के अवैध कारोबार को रोकने में विफल रहने वाले चार थानेदारों को निलंबित कर दिया है। बयान जारी कर इसकी जानकारी दी गई। पुलिस मुख्यालय ने रविवार को बयान जारी कर बताया कि थानेदारों को निलंबित कर उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की गई है।

उनमें राजधानी पटना के कंकड़बाग के थानेदार अजय कुमार, वैशाली के गंगा ब्रिज थानाध्यक्ष पंकज कुमार संतोष, मुजफ्फरपुर के अहियापुर के थानाध्यक्ष दिनेश कुमार तथा इसी जिले के मीनापुर थाना थानाध्यक्ष अविनाश चंद्र शामिल हैं।

उल्लेखनीय है कि विधि व्यवस्था से संबंधित समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने शनिवार को सख्त निर्देश देते हुये अधिकारियों से कहा था कि वह सब मुस्तैदी से काम करें। किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी और गड़बडी करने वाले लोगों को चिन्हित कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें। मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा था कि हर हाल में अपराध पर नियंत्रण रखें तथा कानून का सख्ती से पालन हो और अपराधियों में कानून का भय हो। (एजेंसी इनपुट)