आयकर विभाग ने कथित बेनामी संपत्ति के मामले में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद के परिवार पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। विभाग की एक टीम मंगलवार को पटना में लालू प्रसाद की पत्नी व पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और उनके बेटे व पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव से बेनामी संपत्ति के मामले में पूछताछ की। आयकर विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि तेजस्वी प्रसाद यादव को सुबह साढ़े दस बजे पटना के आयकर गोलंबर स्थित आयकर विभाग के कार्यालय बुलाया गया। दोपहर के बाद राबड़ी देवी और सांसद मीसा भारती भी आयकर विभाग के कार्यालय पहुंचीं, जहां उनसे पूछताछ की जा रही है। राजद के एक वरिष्ठ नेता भी इसकी पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि बिना किसी सुरक्षा के तेजस्वी सुबह में ही यहां पहुंचे थे, जिस कारण किसी को इसकी भनक नहीं लग सकी। सूत्रों के मुताबिक, आयकर विभाग ने जो प्रश्नावली तैयार की है, उसी आधार पर इन सबसे पूछताछ की जा रही है। इससे पहले, लालू की बड़ी बेटी और राज्यसभा सांसद मीसा भारती और उनके पति शैलेश से दिल्ली में आयकर विभाग व प्रवर्तन निदेशालय ने पूछताछ की थी और उनका बयान दर्ज किया था। 

यह था मामला: भारतीय जनता पार्टी के नेता सुशील कुमार मोदी (अब उपमुख्यमंत्री) लालू प्रसाद के परिवार पर कई बेनामी संपत्ति रखने का आरोप लगातार लगाते रहे हैं। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोप लगाया था कि लालू यादव ने रेल मंत्री और मुख्यमंत्री रहते हुए करोड़ों की बेनामी संपत्ति जमा कर ली है। इसके बाद 7 जुलाई 2017 को सीबीआई ने लालू यादव के घर और उनके अन्य ठिकानों पर छापा मारा था। सीबीआई के एडिशनल डायरेक्टर, राकेश अस्थाना ने बताया था कि लालू यादव रेल मंत्री थे, तब रेलवे के पुरी और रांची स्थित बीएनआर होटल को IRCTC को ट्रांसफर किया था। इन्हें रखरखाव और इम्प्रूव करने के लिए लीज पर देने की प्लानिंग थी। इसके लिए टेंडर विनय कोचर की कंपनी मेसर्स सुजाता होटल्स को दिए गए। टेंडर प्रोसेस में हेरफेर किया गया था।

टेंडर की यह प्रॉसेस आईआरसीटीसी के उस वक्त के एमडी पीके गोयल ने पूरी की। टेंडर के एवज में 25 फरवरी, 2005 में कोचर ने 3 एकड़ जमीन सरला गुप्ता की कंपनी मेसर्स डिलाइट मार्केटिंग कंपनी लिमिटेड (डीएमसीएल) को 1.47 करोड़ रुपये में बेच दी, जबकि बाजार में उसकी कीमत 1.93 करोड़ रुपये थी। इसे कृषि भूमि बताकर सर्कल रेट से काफी कम पर बेचा गया, स्टैंप ड्यूटी में भी गड़बड़ी की गई। बाद में 2010 से 2014 के बीच यह बेनामी प्रॉपर्टी लालू की फैमिली की कंपनी लारा प्रोजेक्ट को सिर्फ 65 लाख में ट्रांसफर कर दी गई, जबकि सर्कल रेट के तहत इसकी कीमत करीब 32 करोड़ थी और मार्केट रेट 94 करोड़ रुपये था।