उत्तर प्रदेश विधान परिषद सदस्यों के 13 नवनिर्वाचित सदस्यों का कार्यकाल शुरू हुआ, तो समाजवादी पार्टी (सपा) के लाल बिहारी यादव ने अपना नेता विपक्ष का पद खो चुके थे। उच्च सदन में सपा के विधान परिषदों की संख्या 9 पर सीमित रह गई इसके पहले उच्च सदन में सपा के पास 11 विधान परिषद के सदस्य थे। उत्तर प्रदेश विधान परिषद के प्रधान सचिव राजेश सिंह ने गुरुवार को हिंदी में जारी अधिसूचना में बताया, “ किया जा रहा इस बात की सूचना दी जा रही है कि 27 मई, 2022 को उत्तर प्रदेश विधान परिषद में समाजवादी पार्टी की ताकत 11 थी और यह उच्च सदन में सबसे बड़ा विपक्षी दल था।”

उच्च सदन में सपा सबसे ज्यादा विधान परिषद सदस्यों वाली पार्टी थी तब उनके सदस्य लाल बिहारी यादव को विपक्ष के नेता के रूप में मान्यता दी गई थी। लेकिन आज समाजवादी पार्टी के विधान परिषद सदस्यों की संख्या महज 9 रह गई है। यह उच्च सदन के नियम 234 के तहत आवश्यक संख्या बल 10 से कम है। इस वजह से बिहारी यादव को तत्काल प्रभाव से विपक्ष के नेता के पद से हटाया जा रहा है और अब वह समाजवादी पार्टी के नेता रहेंगे।

ऐसे होता है नेता विपक्ष का चयन
अधिसूचना के बारे में पूछे जाने पर राजेश सिंह ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया,“विधायिका नियमों और परंपराओं के अनुसार काम करती है। यह भी नियमों और परंपराओं के अनुसार है कि यदि किसी राजनीतिक दल की संख्या सदन की ताकत के 10 प्रतिशत से कम हो जाती है तो उसे विपक्ष के नेता का पद नहीं मिल सकता है।”

उत्तर प्रदेश देश की सबसे बड़ी विधान परिषद
उत्तर प्रदेश विधान परिषद जो अपनी 8 सीटें उत्तराखंड को देने के बाद भी देश की सबसे बड़ी विधान परिषद बनी हुई है जिसका गठन 1887 में किया गया था। अब यह ऐसा पहला मौका है जब उत्तर प्रदेश के उच्च सदन में विपक्ष का कोई नेता नहीं होगा। वहीं विधान परिषद के 135 सालों के इतिहास में ये पहला मौका होगा जब कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करने वाला एक भी सदस्य उच्च सदन में नहीं होगा। इसके पहले बुधवार को कांग्रेस के एकमात्र एमएलसी दीपक सिंह का कार्यकाल खत्म हो गया था।

बीजेपी को अहंकारी नहीं होना चाहिएः कांग्रेस
विधान परिषद के 135 सालों के इतिहास में ये पहला मौका है जब कांग्रेस का एक भी सदस्य उत्तर प्रदेश के उच्च सदन में नहीं है। इस पर जब कांग्रेस के पूर्व एमएलसी दीपक सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा, “यह सच है कि यूपी परिषद में विपक्ष की संख्या अब तक के सबसे निचले स्तर पर आ गई है और कांग्रेस की ताकत शून्य हो गई है लेकिन भाजपा को अहंकारी नहीं बनना चाहिए। भाजपा के पतन और कांग्रेस के उत्थान का समय अब शुरू होगा।

ऐसे होता है एमएलसी का चुनाव
6 जुलाई को खाली हुई 13 एमएलसी सीटों के हाल के चुनावों में बीजेपी ने सपा की चार सीटों के मुकाबले नौ सीटें जीतीं जिसके बाद भगवा पार्टी की संख्या बढ़कर 73 हो गई परिषद में सबसे अधिक है। वहीं बीजेपी के बाद सपा के 9 सीटों के साथ दूसरा सबसे बड़ा दल है जबकि बहुजन समाज पार्टी की संख्या घटकर सिर्फ एक रह गई। स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्रों के अलावा 8 सदस्य शिक्षक निर्वाचन क्षेत्रों से परिषद के लिए चुने जाते हैं, 8 स्नातक सीटों से, 38 विधायकों द्वारा चुने जाते हैं जबकि शेष 10 राज्य सरकार द्वारा मनोनीत होते हैं।