पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बीच कर्नाटक में हिजाब विवाद को लेकर एक टीवी चैनल पर डिबेट चल रही थी। इस डिबेट में भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी और AIMIM प्रवक्ता वारिस पठान भी मौजूद थे। डिबेट हिजाब विवाद को लेकर थी और इस बहस का मुख्य सवाल था कि क्या यूपी चुनाव को देखते हुए हिजाब पर सियासत की जा रही है? डिबेट में बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने शरीयत कानून को लेकर एक टिप्पणी की जिसके जवाब में AIMIM प्रवक्ता वारिस पठान ने पीएम मोदी का जिक्र कर दिया।
डिबेट के दौरान बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने वारिस पठान से पूछा कि जब हम गुरुद्वारे में जाते हैं तो सिर पर कुछ रख कर जाते हैं। क्य गुरुद्वारे में बिना कुछ सिर पर रखे जा सकते हैं? नहीं जा सकते। ठीक उसी प्रकार से स्कूल-कॉलेज में ड्रेस को लेकर नियम होते हैं। स्कूल कॉलेज के बाहर आपको जो करना है वो करिए।
इसके बाद सुधांशु त्रिवेदी ने वारिस पठान से पूछा कि अगर आप मानते हैं कि शरीयत के हिसाब से हिजाब और बुर्का पहनना जरूरी होता है तो फिर शरीयत के हिसाब से बुर्का और हिजाब हटाने पर कोड़े मारने का भी प्रावधान शरीयत में है। क्या आप बुर्का न पहनने पर कोड़े मारोगे? सुधांशु त्रिवेदी ने आगे कहा कि ईरान में तो यह कानून था कि अगर हाथ की कलाई के अलावा भी कुछ दिख जाए तो उसे कोड़े मारना चाहिए।
सुधांशु त्रिवेदी के सवालों का जवाब देते हुए AIMIM प्रवक्ता वारिस पठान ने कहा कि हमारे और आपके सब के कई सारे सरदार दोस्त होंगे और वह सर पर पगड़ी बांधते हैं। ठीक उसी प्रकार से अगर हम हमारे यहां बुर्का और हिजाब पहना जाता है तो कौन से राष्ट्रीय सुरक्षा की बात आ गई। हमको हमारे धर्म को मानने की आजादी है, इनको दिक्कत क्या है? दिक्कत ये है कि मोदी जी ट्रिपल तलाक के वक्त कहते हैं कि मुस्लिम महिलाएं मेरी बहन है। लेकिन जब उन्हीं मुस्लिम महिलाओं का सुल्ली बाई और बुल्ली बाई ऐप पर फोटो डाला जाता है तब प्रधानमंत्री मोदी खामोश बैठ जाते हैं।
वारिस पठान ने आगे कहा कि अभी मैंने हिंदू अखबार में एक रिपोर्ट पढ़ी जिसमें लिखा था कि कर्नाटक में एक स्कूल के अंदर मिड डे मील में बच्चों को प्याज और लहसुन नहीं खिलाया जाता है। ऐसा सिर्फ एक धर्म को खुश करने के लिए किया जाता है। अगर यह खाने के अंदर भी ऐसा कर सकते हैं तो फिर बुर्का और हिजाब से दिक्कत क्यों है?