Assam Madrasa Demolition: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि अगर सरकार को खबर मिलती है कि मदरसों का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों के लिए किया जा रहा है, तो ऐसे संस्थानों को ध्वस्त कर दिया जाएगा। इससे पहले बोंगाईगांव जिले में जिहादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले एक मदरसे को बुधवार को अधिकारियों ने ध्वस्त कर दिया था।

सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, “मदरसों को ध्वस्त करने का हमारा कोई इरादा नहीं है, केवल यह स्पष्ट किया जाए कि उनका इस्तेमाल जिहादी तत्वों द्वारा नहीं किया जाए।” उन्होंने कहा, “अगर हमें कोई खास जानकारी मिलती है कि मदरसे की आड़ में भारत विरोधी गतिविधियों के लिए संस्थान का इस्तेमाल किया जा रहा है, तो हम उन्हें तोड़ देंगे।”

अल-कायदा से संबंधों के कारण ध्वस्त: गौरतलब है कि बुधवार को असम के बोंगाईगांव में इमारत के नियमों के उल्लंघन के लिए मदरसे को आतंकवादी संगठन अल-कायदा से संबंधों के कारण ध्वस्त कर दिया गया था। इससे पहले अल-कायदा और अंसारुल बांग्ला टीम से संबंध रखने के आरोप में कुल पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया था। बुधवार तक नियमों को ताक पर रख बनाए गए तीन मदरसों को असम में तोड़ा गया है।

मुसलमानों को डरा रही बीजेपी: वहीं, दूसरी ओर एआईयूडीएफ प्रमुख और लोकसभा सांसद बदरुद्दीन अजमल ने इस मामले पर असम सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि 2024 के आम चुनाव से पहले, बीजेपी और आरएसएस मुसलमानों, मदरसों और मस्जिदों को निशाना बना रहे हैं। बदरुद्दीन ने कहा, ‘2024 के आम चुनाव से पहले मुसलमानों, मदरसों, मस्जिदों पर हमले बढ़ रहे हैं। 2024 के चुनाव से पहले मुसलमानों को डराना उनका काम है। बीजेपी को 2024 में सत्ता बनाए रखने के लिए मुसलमानों के वोटों की जरूरत है इसलिए मुसलमानों पर हमले बढ़ रहे हैं, ताकि डरे हुए मुसलमान उन्हें वोट दें।

बदरुद्दीन अजमल ने कहा कि बीजेपी-आरएसएस को अब आने वाले दिनों में चुनाव हारने का डर सता रहा है। असम में मदरसों के खिलाफ सरकार की कार्रवाई पर अजमल ने कहा कि इस तरह की कार्रवाई स्वीकार्य नहीं है। सांसद ने कहा, “मुस्लिम समुदाय में कुछ असामाजिक तत्व हो सकते हैं और सरकार को उनके खिलाफ कार्रवाई करना चाहिए। हमें इसमें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन मदरसों पर बुलडोजर कार्रवाई को बर्दाश्त नहीं करेंगे। मदरसा में धार्मिक शिक्षा के अलावा सामान्य शिक्षा भी दी जाती है। अगर जरूरत पड़ी तो हम इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।”