ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर विवाद जारी है और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। वाराणसी कोर्ट के आदेश के बाद मस्जिद में सर्वे हुआ और सर्वे में वजू खाने में शिवलिंग मिलने का दावा किया गया। वहीं मस्जिद पक्ष का कहना है कि जिसे हिन्दू पक्ष शिवलिंग बता रहा है, दरअसल वो एक फव्वारा है। हालांकि कोर्ट ने वजू खाने को सील करने का आदेश दे दिया है। टीवी पर भी लगातार यही मुद्दा चल रहा है।

इसी क्रम में एबीपी न्यूज़ के शो प्रेस कांफ्रेंस में बीजेपी नेत्री उमा भारती ने हिस्सा लिया और ज्ञानवापी मुद्दे पर भी अपनी राय रखी। उमा भारती ने इंटरव्यू के दौरान कहा, “अयोध्या में तो खुदाई करनी पड़ी तब जाकर प्रमाण मिले। लेकिन काशी-मथुरा में तो खुदाई की जरूरत ही नहीं प्रमाण सामने है, साक्षात है। मैं हमेशा नंदी के गले में लटकती हूं और बहुत दुखी होती हूं। नंदी को तो अहिल्या बाई होलकर ने भी नहीं हटाया क्योंकि वो इसी बात के लिए छोड़ गई कि कभी नंदी ही रास्ता दिखायेगा। वहां शिवलिंग न भी मिले तो भी ये सबको पता है कि वहां मंदिर था। मैं अयोध्या, मथुरा और काशी में भव्य मंदिर देखना चाहती हूं।”

उमा भारती ने कहा, “अगर मुझसे कहा जायेगा कि मथुरा और काशी तभी मिलेगा जब तुम्हारी गर्दन काटकर तस्तरी पर रखी जाएगी, तो मैं इसके लिए भी तैयार हूं। मस्जिद को देखने पर आक्रान्ताओं की स्मृति आती है, चुभन होती है मन में। जो भी काशी जायेगा, उसको ज्ञानवापी की मस्जिद दिखती, तो दिल को तकलीफ होती है।”

वहीं उमा भारती के बयान पर असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “जब लोकसभा में 1991 एक्ट पर बहस चल रही थी तब उमा भारती ने कहा था कि ज्ञानवापी का क्या होगा? बीजेपी वो मोशन हार गई। ज्ञानवापी की मस्जिद को 1991 के एक्ट में प्रोटेक्ट किया गया है। ये संसद का मानना है। 1991 के एक्ट को सुप्रीम कोर्ट ने माना है और कहा है कि ये भारत के संविधान का हिस्सा है।”

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि मथुरा के मामले को 57 साल पहले ही हिन्दुओं और मुसलामानों ने सुलझा लिया लेकिन आप चाहते हैं कि उसको फिर से खोल दें। क्यों खोल दें?