भारतीय जनता पार्टी की सांसद कंगना रनौत सोमवार को मानहानि के एक मामले में बठिंडा की अदालत में पेश हुईं। उन्होंने किसानों के आंदोलन पर 2021 के उनके ट्वीट को लेकर हुई गलतफहमी के लिए पंजाब की एक बुजुर्ग महिला किसान से माफी मांगी और कहा कि वह हर माता का सम्मान करती हैं। कोर्ट ने कंगना रनौत को जमानत दे दी।

कोर्ट ने पिछले साल सितंबर में हिमाचल प्रदेश के मंडी से बीजेपी सांसद को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया था और वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये पेश होने की उनकी याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट में पेश होने के बाद रनौत ने पत्रकारों से कहा कि यह गलतफहमी थी और उन्होंने किसी व्यक्ति के खिलाफ टिप्पणी नहीं की थी।

हर माता मेरे लिए पूज्यनीय- कंगना

रनौत ने कहा, “मैंने कभी सपने में भी ऐसा नहीं सोचा था। हर माता, चाहे वह पंजाब की हो या हिमाचल की, मेरे लिए पूजनीय है। महिंदर (कौर) जी के परिवार के साथ जो भी गलतफहमी हुई, मैंने उनके पति के जरिए माता जी तक संदेश पहुंचाया कि कैसे वह गलतफहमी का शिकार हुई हैं।” महिंदर कौर अदालत में मौजूद नहीं थीं, लेकिन उनके पति लाभ सिंह मौजूद थे। यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने स्वीकार किया है कि उनसे गलती हुई है, रनौत ने कहा कि अगर मामले को ठीक से देखा जाए तो उनकी ओर से ऐसा कुछ नहीं था। उन्होंने कहा, “एक रीट्वीट था जिसे मीम की तरह इस्तेमाल किया गया। मेरा उससे कोई लेना-देना नहीं था।”

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क्या है पूरा मामला?

अब पूरे मामले की बात की जाए तो यह विवाद 2020 का है। रनौत ने अब डिलीट हो चुके ट्वीट में बुज़ुर्ग किसान महिंदर कौर को बिलकिस बानो बता दिया था, वह सीएए के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में चल रहे विरोध प्रदर्शन में सबसे आगे थीं। केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन के दौरान की गई इस टिप्पणी से व्यापक आक्रोश फैल गया था और कौर ने मानहानि का मुकदमा दायर किया था।

जनवरी 2021 में बठिंडा में दायर एक शिकायत में, महिंदर कौर ने कहा कि बीजेपी सांसद ने रीट्वीट में उनकी तुलना शाहीन बाग विरोध प्रदर्शन में शामिल रहीं दादी से करके उनके खिलाफ गलत आरोप और टिप्पणी की। महिंदर कौर ने कहा कि टाइम पत्रिका में छपी शाहीन बाग की महिला से उनका कोई संबंध नहीं है। रनौत ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के एक आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जिसने उनके खिलाफ शिकायत को रद्द करने से इनकार कर दिया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने 12 सितंबर को रनौत से कहा कि यह कोई साधारण रीट्वीट नहीं था और नेता ने मौजूदा स्थिति में नमक मिर्च लगाया। बाद में रनौत नेअपनी याचिका वापस ले ली।