केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 18 फरवरी को देश के सभी केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की बैठक बुलाई है। केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक का एक अहम मुद्दा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थियों द्वारा सामना किए जाने वाले मुद्दों पर विश्वविद्यालयों के प्रशासन को संवेदनशील बनाने पर चर्चा है। सूत्रों के अनुसार हैदराबाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय के दलित छात्र रोहित वेमुल्ला की आत्महत्या मामले में केन्द्रीय एचआरडी मंत्रालय की फैक्ट फाइंडिग टीम का एक महत्वपूर्ण अवलोकन था कि विश्वविद्यालयों में यूजीसी (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) के दिशानिर्देश के अनुसार शिकायत निवारण तंत्र नहीं अपनाया जा रहा है। बैठक में इस मुद्दे पर भी एक सत्र है।

फरीदाबाद के सूरजकुंड में होने वाले इस एक दिवसीय बैठक में देश भर के 46 केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपति शामिल होंगे। सूत्रों के अनुसार विश्वविद्यालय प्रशासन को संवेदनशील बनाने वाले मुद्दों के सत्र की मध्यस्थता प्रो. सुखदेव थोराट करेंगे जो कि यूजीसी के पूर्व अध्यक्ष रहें हैं और शिक्षण संस्थानों में दलितों के प्रति भेदभाव मुद्दों पर काम किया है। बैठक में विश्वविद्यालयों द्वारा यूजीसी नियमन, 2012 के अनुसार समानता को बढावा देने और शिकायत निवारण संबंधी तंत्र को नहीं अपनाए जाने पर भी चर्चा सत्र है जिसका संचालन यूजीसी अध्यक्ष प्रो. वेद प्रकाश करेंगे। इसके अलावा युवाओं की समस्याओं के मामले में विश्वविद्यालय कैसे परामर्श और मार्गदर्शन दें, इस पर जाने माने मनोवैज्ञानिक डॉ जितेन्द्र नागपाल सत्र का संचालन करेंगे।

विश्वविद्यालय परिसर में महिलाओं के लैंगिक उत्पीड़न पर भी सत्र है जिसकी मध्यस्थता राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ललिता कुमारमंगलम करेंगी। इसके अलावा बैठक में शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक पदों की रिक्तियों का भी एजेंडा शामिल है। हैदराबाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय और उसके बाद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के मामलों के कारण सरकार बैकफुट पर है जिसकी गूंज आगामी बजट सत्र में सुनाई देने की पूरी आशंका है। इसकी पृष्ठभूमि में कुलपतियों के इस बैठक को सरकार द्वारा केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में व्यवस्था दुरूस्त करने की एक कोशिश के रूप में देखा जा सकता है।