न्यू नोएडा के लिए गांवों की जमीन का अधिग्रहण हाइब्रिड प्रारूप (मिश्रित) में किया जा सकता है। आगामी दिनों में शासन स्तर पर इसका अंतिम फैसला लिया जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि इस प्रारूप में सहमति आधारित अधिग्रहण और लैंड पूलिंग दोनों विकल्प शामिल होंगे। यानी जिन किसानों की सहमति होगी, उनकी जमीन सीधे खरीदी जाएगी, जबकि अन्य जमीन को योजना अनुसार जोड़कर (पूल) कर परियोजना में शामिल किया जाएगा।

जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया को सुचारु बनाने के लिए तीन नायब तहसीलदारों की नियुक्ति भी मंजूर कर दी गई है। नए साल की शुरुआत में इन नायब तहसीलदारों के साथ न्यू नोएडा का अस्थायी कार्यालय चालू किया जाएगा। प्रस्तावित अस्थायी कार्यालय सिकंदराबाद, जोखाबाद और सांवली में होगा।

न्यू नोएडा का क्षेत्रफल 209.11 वर्ग किलोमीटर है। इसकी अधिसूचना अक्टूबर 2024 में जारी की गई थी। हाल ही में लखनऊ में इस परियोजना पर एक प्रस्तुतिकरण दिया गया, जिसमें हाइब्रिड प्रारूप और अधिग्रहण की प्रक्रिया को विस्तार से समझाया गया। अधिकारियों के अनुसार, यह प्रारूप सरकारी निगरानी में विशेषज्ञ संस्थाओं के माध्यम से कार्य कराए जाने की सुविधा देगा और दीर्घकालिक व्यय भार को कम करेगा।

क्या है लैंड पूलिंग का मतलब?

लैंड पूलिंग का मतलब, जिन किसानों की जमीन योजना में शामिल होगी, उनकी जमीन को एकत्रित (पूल) किया जाएगा। इसके बाद विकसित क्षेत्र (जैसे सड़क, पार्क, आवासीय/औद्योगिक प्लाट) के लिए उपयोग किया जाएगा।

योजना के अनुसार जमीन मालिकों को कुछ जमीन वापस भी दी जाएगी और बाकी का उपयोग परियोजना में होगा। नोएडा प्राधिकरण ने बताया कि ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे के पास, जीटी रोड के अलग होने वाले हिस्से में सबसे पहले जमीन अधिग्रहण किया जाएगा। इसमें जोखाबाद और सांवली गांव शामिल हैं। इन गांवों के प्रधानों से बातचीत के बाद आगे की प्रक्रिया शुरू होगी।

विकास की योजना क्या है?

न्यू नोएडा चार चरणों में विकसित होगा। पहले चरण (2023-27) में 3165 हेक्टेयर, दूसरे चरण (2027-32) में 3798 हेक्टेयर, तीसरे चरण (2032-37) में 5908 हेक्टेयर और अंतिम चरण (2037-41) में 8230 हेक्टेयर भूमि विकसित की जाएगी। कुल मिलाकर 2041 तक पूरा शहर तैयार होने का लक्ष्य है।

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