Bihar Election Result: ऐतिहासिक और निर्णायक जनादेश के साथ नीतीश कुमार के 10वें कार्यकाल का रास्ता साफ हो गया। बिहार में शुक्रवार को विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ एनडीए ने भारी बहुमत से सत्ता में वापसी की और विपक्षी महागठबंधन को ध्वस्त कर दिया। इस तरह बिहार ने अगले साल होने वाले कुछ प्रमुख राज्यों में होने वाले चुनावों से पहले केंद्र में भाजपा के हाथ मजबूत कर दिए।

243 सदस्यीय वाले बिहार विधानसभा में एनडीए के 200 का आंकड़ा पार करने के साथ ही यह जनादेश 2010 के जनादेश के समान प्रतीत हो रहा है, जब जेडी(यू)-बीजेपी गठबंधन 206 सीटों के साथ सत्ता में वापस आया था और नीतीश तीसरी बार मुख्यमंत्री बने थे।

यह सर्वविदित है कि बिहार में महिला मतदाता 2005 से ही नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की महिला-समर्थक नीतियों के प्रति समर्पित हैं। इस बार चुनावी मौसम में 1.5 करोड़ से ज़्यादा महिलाओं को 10,000 रुपये का नकद ट्रांसफर एक बड़ी उपलब्धि साबित हुई। मानो दिवाली के बाद राखी हो, ‘दस हज़ारिया’ लाभार्थी और जीविका दीदियां एनडीए की प्रचंड जीत में बड़ी भूमिका रही।

सरकारी नीतियों के कारण जिन महिलाओं के जीवन में बदलाव आया है, उनकी संख्या काफी अधिक है और वे जातिगत सीमाओं से ऊपर हैं।

इस बार लगभग 71.6% महिलाओं ने मतदान किया, जो पुरुषों (62.8%) से लगभग 9 प्रतिशत अधिक है, 2020 में यह संख्या 59.7% थी। इसे एनडीए सरकार के समर्थन और महागठबंधन की वापसी की कोशिश को ‘ना’ के रूप में देखा गया।

जेडीयू-बीजेपी सरकार के कल्याणकारी कार्यक्रमों से महिलाओं की एक पूरी पीढ़ी लाभान्वित हुई है, जिसकी शुरुआत उसके पहले कार्यकाल (2005-10) में स्कूली लड़कियों के लिए मुफ्त साइकिल योजना से हुई थी। साइकिल से स्कूल जाती मुस्कुराती लड़कियों का नजारा 2010 में नीतीश की जीत की पहचान थी, जब राजद के नेतृत्व वाले विपक्ष का सफाया आज की तरह ही था।

बिहार से यात्रा करने वाले पत्रकारों को अक्सर ऐसी विरोधाभासी तस्वीरें देखने को मिलती हैं, जिनमें पुरुष शराब पर “अप्रभावी” प्रतिबंध के लिए सरकार की आलोचना करते हैं, जबकि उनकी पत्नियां कार्यान्वयन संबंधी समस्याओं के बावजूद इसके लाभों की प्रशंसा करती हैं।

इसके अलावा सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए 35% तथा स्थानीय निकायों में 50% आरक्षण जैसी अग्रणी नीतियां भी लागू की गई हैं। जीविका दीदीयां, 11 लाख से अधिक स्वयं सहायता समूहों में पंजीकृत महिला सदस्य भी नीतीश सरकार की वफादार समर्थक बनकर उभरीं।

कई मीडिया रिपोर्ट बताती हैं कि जब राज्य भर में जीविका दीदियों और अन्य महिलाओं का मूड जानने की कोशिश की, तो उनमें से अधिकांश ने नीतीश और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति समर्थन व्यक्त किया। इसके अलावा, एनडीए सरकार के तहत महिलाओं की अपेक्षाकृत सुरक्षा की भी प्रशंसा की जाती है। 1990 और 2005 के बीच राजद सरकार के शासनकाल में गुंडागर्दी नागरिकों के रोज़मर्रा के अनुभव का हिस्सा थी, और महिलाओं को लगभग हमेशा डर की स्थिति में रखा जाता था।

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नीतीश प्रशासन ने बिहार को सुरक्षित स्थान बनाने का श्रेय अर्जित किया। अपराध तो होते हैं, लेकिन बहुत से नागरिक यह नहीं मानते कि सरकार जानबूझकर अपराधियों के प्रति नरम है। यह आरोप राजद पर इतनी मजबूती से लगा हुआ है कि दो दशक सत्ता से बाहर रहने के बावजूद वह इसे नहीं मिटा पा रहा है।

इनमें मोदी सरकार की कल्याणकारी योजनाएं, खासकर मुफ़्त राशन, जो यह सुनिश्चित करती है कि गरीब घरों की रसोई चलाने वाली महिलाओं को अपने परिवार के लिए दो वक़्त के खाने की चिंता न करनी पड़े, उसको भी जोड़ लीजिए। सार्वजनिक रूप से अपनी हालिया ग़लतियों के बावजूद, नीतीश कुमार को एक चाचा जैसे व्यक्ति के रूप में देखा जाता है जो महिलाओं की परवाह करते हैं। और महिलाएं विश्वास के साथ उनका बदला चुकाती हैं।

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