हिमाचल प्रदेश में एक आईपीएस अधिकारी का ट्रांसफर सुर्खियों में छाया हुआ है। इसके लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिस पर हिमाचल सरकार ने जवाब पेश किया है। आईपीएस अधिकारी इलमा अफरोज का ट्रांसफर हिमाचल सरकार ने किया था, जिसके बाद हाईकोर्ट ने इस पर नाराजगी जताई। हिमाचल प्रदेश सरकार ने शनिवार को मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और जस्टिस सत्यन वैद्य की पीठ को बताया कि 2018 बैच की आईपीएस अधिकारी इल्मा अफरोज ने खुद ही अपना तबादला मांगा था। इसके कारण 16 दिसंबर को उन्हें राज्य पुलिस मुख्यालय में फिर से तैनात किया गया। मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ने महाधिवक्ता के माध्यम से अदालत को अपने जवाब सौंपे।
हाई कोर्ट ने जताई चिंता
हालांकि हाई कोर्ट ने एक आपराधिक रिट याचिका में जारी अपने पहले के आदेश के बारे में चिंता जताई। याचिका में कहा गया था कि बद्दी जिले की पुलिस अधीक्षक (एसपी) को अदालत की अनुमति के बिना ट्रांसफर नहीं किया जा सकता है। अदालत ने सरकार को इल्मा अफरोज के ट्रांसफर से संबंधित सभी प्रासंगिक दस्तावेज पेश करने का निर्देश दिया और अगली सुनवाई की तारीख 9 जनवरी निर्धारित की।
यह मुद्दा सुच्चा राम द्वारा दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) से सामने आया है। इसमें अफरोज को एसपी बद्दी के रूप में बहाल करने की मांग की गई है। स्थानीय निवासियों द्वारा 26 नवंबर को मुख्यमंत्री को दिए गए ज्ञापन में भी उनकी बहाली का अनुरोध किया गया था। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। कांग्रेस विधायक राम कुमार चौधरी के साथ कथित मतभेदों के चलते 7 नवंबर से 21 नवंबर तक अवकाश लेने वाली अफरोज की जगह 14 नवंबर को हिमाचल प्रदेश पुलिस सेवा के अधिकारी विनोद कुमार धीमान को नियुक्त किया गया था। वह 17 दिसंबर को ड्यूटी पर लौट आईं, लेकिन उन्हें नई पोस्टिंग नहीं दी गई।
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याचिकाकर्ता सुच्चा राम ने आरोप लगाया कि अफरोज पर छुट्टी लेने के लिए दबाव डाला गया और दावा किया कि उनके तबादले के बाद बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ विकास क्षेत्र में कानून-व्यवस्था बिगड़ गई। अपने कार्यकाल के दौरान अफरोज ने कथित तौर पर अवैध खनन, नशीली दवाओं से संबंधित अपराधों और अन्य संगठित गतिविधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की। जनहित याचिका में आगे आरोप लगाया गया कि अफरोज की पोस्टिंग से पहले, पंजाब और हरियाणा की सीमाओं के पास राजनेताओं और विधायकों के स्वामित्व वाली 43 क्रशर इकाइयों सहित अवैध खनन कार्य बेरोकटोक चल रहे थे।
कांग्रेस विधायक से था मतभेद
याचिका में सितंबर में विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान विधायक राम कुमार चौधरी द्वारा दायर विशेषाधिकार प्रस्ताव का भी हवाला दिया गया, जिसमें अफरोज पर उनकी निजता का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया। राम कुमार चौधरी ने पहले अपनी फर्म के एक ट्रक को अवैध खनन के लिए चालान किए जाने के मामले को स्वीकार किया था। हालांकि उन्होंने अफ़रोज़ के तबादले में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया। हिमाचल प्रदेश मुख्य संसदीय सचिव अधिनियम, 2006 को हाई कोर्ट द्वारा अमान्य घोषित किए जाने के बाद पद से हटाए गए छह मुख्य संसदीय सचिवों में से वे एक थे।
रोड्स स्कॉलर और दिल्ली के सेंट स्टीफ़न कॉलेज से ग्रेजुएटेड अफ़रोज़ ने ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है। अपने कार्यकाल के दौरान अवैध गतिविधियों के ख़िलाफ़ अपने अडिग रुख के लिए उन्होंने लोकप्रियता हासिल की है।