Manraj Grewal Sharma

हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर संकट के बादल छाए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे और पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। विक्रमादित्य सिंह ने सुक्खू पर वीरभद्र सिंह को अपमानित करने का आरोप लगाया है। सीएम सुक्खू और विक्रमादित्य के बीच मनमुटाव “राजा साहब” के समय से चला आ रहा है। वीरभद्र सिंह को प्यार से राजा साहब बुलाया जाता था।

सुक्खू से राजा साहब की पुरानी अदावत

वीरभद्र सिंह ने सार्वजनिक रूप से सुखविंदर सुक्खू को फटकार लगाने से कभी परहेज नहीं किया। उन्होंने 2017 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार के लिए सुखविंदर को दोषी ठहराया था। वीरभद्र सिंह ने सार्वजनिक रूप से सुखविंदर सुक्खू को फटकार लगाने से कभी परहेज नहीं किया। उन्होंने 2017 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार के लिए सुखविंदर को दोषी ठहराया था। वीरभद्र सिंह ने कहा था कि उनके पास कोई संगठनात्मक कौशल नहीं था और उन्होंने जिला पदाधिकारियों के रूप में गैर-इकाइयों को नियुक्त किया था। इसके बाद सुक्खू ने वीरभद्र पर ‘विपक्ष की नीति अपनाने’ का आरोप लगाया था। सुक्खू ने कहा था, “उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री राम लाल ठाकुर, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुख राम, आनंद शर्मा और विद्या स्टोक्स सहित वरिष्ठ नेताओं का विरोध किया है।”

राजनीतिक वैज्ञानिक डॉ. हरीश ठाकुर उनके रिश्ते को ‘जबरन दुश्मनी’ कहते हैं। हरीश ठाकुर ने कहा, ”वीरभद्र ने सुक्खू को कभी भी किसी पद पर नियुक्त नहीं किया, यहां तक ​​कि चेयरमैन का भी पद नहीं।” कांग्रेस के पुराने लोगों का कहना है कि सुक्खू पर वीरभद्र का अविश्वास उनके कट्टर प्रतिद्वंद्वी पंडित सुखराम से निकटता के कारण पैदा हुआ। एक अन्य राजनीतिक पर्यवेक्षक का कहना है कि उनके मतभेद उनके जीवन के अलग-अलग तरीकों से भी उपजे हैं।

वीरभद्र सिंह एक शाही परिवार से जबकि सुक्खू सामान्य परिवार से

वीरभद्र सिंह एक शाही परिवार के वंशज थे, जिनके बारे में माना जाता है कि वे ‘सोने का चम्मच लेकर पैदा हुए थे।’ सुक्खू हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (एचपीटीडीसी) के बस ड्राइवर के बेटे थे और उन्होंने अपनी युवावस्था के दौरान छोटा शिमला में एक बूथ पर दूध बेचने जैसा सामान्य काम किया था। वीरभद्र ने राष्ट्रीय राजनीति में अपनी छाप छोड़ी और 28 साल की उम्र में सांसद चुने गए। दूसरी ओर सुक्खू ने पार्टी की छात्र शाखा (नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया- NSUI) के साथ अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करते हुए आगे बढ़े।

जहां वीरभद्र अपने कद को देखते हुए अक्सर आलाकमान के सामने खड़े रहते थे, वहीं सुक्खू ने राजीव शुक्ला, आनंद शर्मा और राहुल गांधी जैसे बड़े नेताओं के साथ अच्छे संबंध स्थापित किए।

2013 में वीरभद्र ने सुक्खू को राज्य कांग्रेस प्रमुख नियुक्त किए जाने पर अपनी असहमति व्यक्त की थी। वह तत्कालीन कांग्रेस प्रभारी रजनी पाटिल द्वारा बुलाई गई कई बैठकों में शामिल नहीं हुए और नादौन से 2012 का विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी सुक्खू की नियुक्ति पर सवाल उठाए। वीरभद्र ने अपनी बात रखी और सुक्खू की जगह कुलदीप सिंह राठौड़ को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया।

2022 में जब कांग्रेस वापस सत्ता में आई तो चीजें बहुत अलग थीं। वीरभद्र सिंह का निधन हुए लगभग एक साल हो गया था। इस बार सीएम के रूप में सुक्खू का विरोध विक्रमादित्य और उनकी मां प्रतिभा सिंह ने किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि कांग्रेस ने दिवंगत सीएम वीरभद्र की विरासत के कारण जीत हासिल की है।

अधिक विधायकों के समर्थन के कारण सुक्खू सीएम बने

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि अधिक विधायकों के समर्थन के कारण सुक्खू सीएम बने थे। अब वीरभद्र सिंह के निधन के लगभग तीन साल बाद हिमाचल कांग्रेस में दरारें अभी भी बनी हुई हैं। पिछले महीने प्रतिभा सिंह ने चेतावनी दी थी कि सब कुछ ठीक नहीं है और कई विधायक असहज महसूस कर रहे हैं।