हाशिमपुरा नरसंहार के सबूत खत्म किए जाने को लेकर इस कांड में मारे गये लोगों के रिश्तेदारो के चेहरे पर एक बार फिर मायूसी साफ दिख रही है। दिल्ली हाई कोर्ट में इस मामले की अगली तारीख 17 फरवरी है। सुनवाई को देखते हुए अपर महाधिवक्ता जफरयाब जिलानी व सीबीसीआइडी ने मेरठ के एसएसपी से 1987 के हाशिमपुरा कांड के समय तैनात पुलिस अधिकारियों, कमर्चारियों के साथ ही इस मामले के दूसरे सबूत मुहैया कराने को कहा है। मगर मेरठ के एसएसपी ने जो जवाब भेजा है वह बहुत ही हैरान करने वाला है। एसएसपी की तरफ से कहा गया है कि हाशिमपुरा कांड से संबंधित घटना के समय नियुक्त पुलिस अधिकारी, कर्मचारी से संबंधित सबूत समय अवधि पूरी होने के कारण चार जनवरी 2006 को ही नष्ट किए जा चुके हैं। यह रिकार्ड अब मुहैया कराना संभव नहीं है। इस मामले को लेकर पीड़ित परिवारों की निगाहें अब दिल्ली हाईकोर्ट पर हैं।

हाशिमपुरा कांड के सबूत नष्ट किए जाने पर पीड़ित परिवार सीधे तौर पर केंद्र व राज्य सरकार को जिम्मेदार बता रहे हैं। उनका मानना है कि तीस साल पहले 22 मई 1987 को हुए इस हत्याकांड में जब भी न्याय की उम्मीद जगती है तभी इस मामले में झूठ बोल कर कुछ न कुछ अड़चन पैदा की जाती है। सबूत नष्ट किए जाने की जानकारी मिलने के बाद पीड़ित परिवारों ने हाशिमपुरा में बैठक की। इस मामले में वे एसपी सिटी ओमप्रकाश से भी मिले।

इस कांड के मुख्य चश्मदीद गवाह जुल्फिकार नसीर का कहना है कि सबूत नष्ट हो जाने के मामले में साफ झूठ बोल कर कातिलों को बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। पिछली बार भी जब यह मामला तीसहजारी कोर्ट में था। तब भी कुछ सबूत नष्ट किए जाने की बात कही गई लेकिन अदालत की फटकार के बाद वो सबूत पेश किए गए। इस बार भी हमें पूरी उम्मीद है कि अदालत जवाब तलब करेगी। उनका कहना है कि जब तक इंसाफ नहीं होगा तब तक हम लड़ते रहेंगे, चाहे हमें सुप्रीम कोर्ट तक ही क्यों न जाना पड़े।

दिल्ली हाई कोर्ट में हाशिमपुरा कांड की 17 फरवरी को होने वाली सुनवाई को देखते हुए राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता जफरयाब जिलानी व सीबीसीआइडी ने मेरठ के एसएसपी से 1987 के हाशिमपुरा कांड के समय तैनात पुलिस अधिकारियों, कमर्चारियों के साथ ही इस मामले के दूसरे सबूत मुहैया कराने को कहा था लेकिन मेरठ के एसएसपी ने जो जवाब भेजा है वो बहुत ही हैरान करने वाला है। एसएसपी की तरफ से कहा गया है कि हाशिमपुरा कांड से संबंधित घटना के समय नियुक्त पुलिस अधिकारी, कमर्चारी से संबंधित सबूत समय अवधि पूर्ण होने के कारण चार जनवरी 2006 को ही नष्ट किए जा चुके हैं। यह रिकार्ड अब मुहैया कराना संभव नहीं है। इस मामले को लेकर पीड़ित परिवारों की निगाहें अब दिल्ली हाईकोर्ट पर हैं।

हाशिमपुरा कांड के वादी जमालुद्दीन का कहना है कि हम लोग अपनी वकील वृंदा ग्रोवर से मिल कर अपनी रणनीति बनाएंगे। सबूत नष्ट किए जाने का मामला बेहद गंभीर है। यह पूरा घटनाक्रम पीड़ित परिवारों के लिए बड़ा झटका है लेकिन हमको अभी भी अदालत पर पूरा भरोसा है। इस हत्याकांड में अपना पति व बेटा खो चुकी जरीना का कहना है कि अपना सब कुछ खोकर उन्हें न्याय की उम्मीद थी, वो भी अब टूटती नजर आ रही है। जरीना जिस मकान में रह रही है। उसी मकान में उनके करीबी रिश्तेदारों के छह लोग इस हत्याकांड में मारे गए हैं।

इस नरसंहार में अपना बड़ा भाई खो चुके रियाजुद्दीन भी सबूत नष्ट किए जाने से काफी आहत दिखे। उनका कहना है कि सबूत केस प्रॉपर्टी हैं ऐसे में इनको कैसे नष्ट कर दिया गया। ऐसा महसूस हो रहा है कि राज्य सरकार के इशारे पर हमारे केस को कमजोर करने की अधिकारियों की एक चाल है। सबूत नष्ट किए जाने पर उनका कहना है कि हमें अदालत के निर्णय का इंतजार है। इस हत्याकांड में जख्मी हुए मोहम्मद नईम का कहना है कि गोली लगने के बाद उनको मुरादनगर की गंगनहर में फेंक दिया गया था। किसी तरह घास का सहारा लेकर उन्होंने अपनी जान बचाई। उस समय उनकी उम्र 17 साल थी। हाशिमपुरा कांड में 42 लोग मारे गए थे।