Haryana Vidhan Sabha Chunav: हरियाणा में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। मुख्य टक्कर सत्ताधारी बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही होने वाली है। वहीं पिछले साढ़े चार साल तक बीजेपी के साथ सरकार में रही जेजेपी का भी इस चुनाव में कड़ा टेस्ट होने वाला है। बीजेपी पिछले दस साल से सत्ता में है लेकिन चुनाव से ठीक पहले पार्टी ने साढ़े 9 साल से सीएम की कुर्सी पर काबिज मनोहर लाल खट्टर को केंद्र में लाकर पार्टी ने नायब सिंह सैनी को सीएम पद सौंप दिया, लेकिन पिछले चुनाव में खट्टर की सरकार में बड़े दिग्गज माने जाने वाले नेताओं ने बीजेपी को झटका दिया था।
साल 2014 में बीजेपी ने हरियाणा में 90 सीटों वाली विधानसभा में 47 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया था। पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को झटका लगा था और पार्टी 40 सीटों पर सिमट गई थी। बीजेपी को झटका उन 9 नेताओं के हारने से भी लगा था कि जो कि तत्कालीन सीएम मनोहर लाल खट्टर की कैबिनेट में मंत्री पद पर थे। इन सभी को बुरी हार का सामना करना पड़ा था। पार्टी के लिए झटके की बात यह भी थी कि उस वक्त के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भी चुनाव हार गए थे।
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BJP की मीटिंग में होगा बड़ा फैसला
तत्कालीन सीएम खट्टर की कैबिनेट में शामिल इन 9 दिग्गजों में 6 को कांग्रेस प्रत्याशियों ने बुरी तरह हराया था, जबकि अन्य तीन का जेजेपी से हार मिली थी। ऐसे में बीजेपी गुरुग्राम में पीएसी की दो दिवसीय बैठक करने वाली है, जिसमें पार्टी यह तय करेगी, कि उन हारे हुए कथित नवरत्नों में से कितनों को फिर से चुनाव में अहम जिम्मेदारी दी जाती है, या नहीं।
इन नवरत्नों को मिली थी बड़ी हार
इन हारने वाले नेताओं का जिक्र करें तो तत्कालीन बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला को टोहाना से हार मिली थी। इसके अलावा शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा, वित्त और आबकारी मंत्री कैप्टन अभिमन्यु, कृषि मंत्री ओम प्रकाश धनखड़, शहरी स्थानीय निकाय मंत्री कविता जैन, परिवहन मंत्री कृष्ण लाल पंवार, सहकारिता राज्य मंत्री मनीष कुमार ग्रोवर, सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री कृष्ण कुमार बेदी और खाद्य और आपूर्ति राज्य मंत्री करण देव कंबोज शामिल हैं।
दिग्गजों को मिली थी करारी हार
कैबिनेट मंत्री कविता जैन दो बार विधायक रहीं थीं। वे कांग्रेस के सुरेन्द्र पंवार से 32,000 से अधिक मतों से हारी थीं, बराला जेजेपी के देवेन्द्र बबली से 52,000 से अधिक मतों के भारी अंतर से हारे थे। इसके अलावा कैप्टन अभिमन्यु जेजेपी के राम कुमार गौतम से 12,000 वोटों से हारे थे। राम बिलास शर्मा को कांग्रेस के राव दान सिंह ने 10,220 वोटों से हार मिली थी। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज सहित मंत्रिमंडल के अन्य सदस्यों ने बड़ी मुश्किल से अपनी सीट बचाई थी।
हारने वाले नेताओं का जिक्र करें, तो कृष्ण पाल पंवर सुभाष बराला को पार्टी ने राज्यसभा भेजा है। ओपी धनखड़ 2020 में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बने थे। उन्हें पार्टी ने विधानसभा चुनाव के लिए बनी घोषणापत्र कमेटी का चेयरमैन भी बनाया गया है। 2019 में हारने वाले अन्य दिग्गजों को उम्मीद है कि उन्हें इस बार पार्टी फिर से मौका दे सकती है।
राम बिलास शर्मा ने बताया क्या हैं उनकी उम्मीदें
बीजेपी के दो बार के प्रदेश अध्यक्ष और पांच बार विधायक रहे रामबिलास शर्मा ने कहा कि बीजेपी एक अलग तरह की पार्टी है। संसदीय बोर्ड तय करता है कि कौन क्या करेगा। मैं पिछले 50 सालों से पार्टी का समर्पित सिपाही हूं और पार्टी के निर्देशों का पालन करूंगा। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में हमने महेंद्रगढ़ में कांग्रेस के राव दान सिंह को 6372 वोटों से हराया था। वे अपने ही पोलिंग बूथ पर 146 वोटों से पीछे रहे। महेंद्रगढ़ जिले के अंतर्गत आने वाले चारों विधानसभा क्षेत्रों में हमारे लोकसभा उम्मीदवार चौधरी धर्मबीर 44,000 वोटों से आगे रहे और आखिरकार हम भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट जीत गए। यहां BJP के पक्ष में साफ लहर है।
लोकसभा से अलग है विधानसभा का चुनावी समीकरण
कैप्टन अभिम्न्यु भी नरनौंद में अपने चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि पिछले चुनाव में समीकरण हमारे खिलाफ रहा था। इसके बावजूद हमारा वोट प्रतिशत बढ़ा था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पिछले 50 सालों में यहां कभी नहीं जीती थी। यह जाट बहुल क्षेत्र है और अगर 2019 में भी मेरे खिलाफ कोई जाट उम्मीदवार होता तो वह मुझे हरा नहीं पाता। इस बार समीकरण बिल्कुल अलग है। हम जमीनी स्तर पर काफी सुधार देख रहे हैं। जहां तक लोकसभा चुनाव के नतीजों के विधानसभा चुनाव में तब्दील होने की बात है तो ऐसा नहीं है। दोनों चुनाव बिल्कुल अलग हैं।