बीते रविवार को हरियाणा में हुए निकाय चुनाव में 28 नगर पालिका समितियों और 18 नगर परिषदों के लिए 70 प्रतिशत से अधिक वोटिंग हुई। इसके नतीजे 22 जून को घोषित होंगे। बता दें कि इस चुनाव जहां सत्तारूढ़ बीजेपी-जेजेपी गठबंधन को लेकर उत्साहित है तो वहीं आम आदमी पार्टी कांग्रेस के मैदान से हटने को सुनहरे मौके की तरह देख रही है।

हरियाणा निकाय चुनाव में सत्तारूढ़ बीजेपी और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) गठबंधन के अलावा आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी अपनी पार्टी के चुनाव चिह्न पर चुनावी मैदान में थे। वहीं, कांग्रेस ने इस चुनाव में अपने चुनाव चिन्ह के बजाय कई निर्दलीय उम्मीदवारों को समर्थन दिया था। माना जा रहा है कि कांग्रेस के इस कदम से आम आदमी पार्टी को फायदा होगा। दरअसल दिल्ली और पंजाब में सत्ता हासिल करने के बाद आप की नजर इन दोनों राज्यों के बीच स्थित हरियाणा पर है।

गौरतलब है कि हरियाणा में भाजपा के बाद कांग्रेस राज्य में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है। इसके बाद भी पार्टी में लगातार अंदरूनी कलह से कांग्रेस की हालत खराब है। कलह के चलते पिछले सात-आठ सालों से कांग्रेस जमीनी स्तर पर संगठनात्मक इकाइयों का चुनाव नहीं कर पाई है। यही वजह है उसने निकाय चुनाव में हिस्सा नहीं लिया। हालांकि कांग्रेस विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने कहा कि पार्टी ने अपने चुनाव चिन्ह पर कभी भी निकाय चुनाव नहीं लड़ा था।

हालांकि कांग्रेस के इस फैसले में आम आदमी पार्टी खुद का फायदा देख रही है। इससे हरियाणा में उसे पैर जमाने का शानदार मौका मिला है। दरअसल आप को हरियाणा में 2019 के विधानसभा चुनावों और लोकसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे में पंजाब में मिली जीत और कांग्रेस के “वाकओवर” के बाद आप खुद को हरियाणा में मजबूत होने की संभावनाओं की तलाश में है।

वहीं द इंडियन एक्सप्रेस से आप के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि चुनावों में पार्टी के पास जो भी संख्या हो, यह भाजपा-जजपा गठबंधन के “स्लाइडिंग ग्राफ” का संकेत होगा। इसमें आप कम से कम मुख्य विपक्ष के स्थान पर कब्जा कर लेगी जहां कांग्रेस थी।