यूपी के पूर्वांचल की धरती में कई बाहुबली हुए, जो कुछ समय बाद सियासी गलियारे में भी नजर आए। इन्हीं में से एक नाम गोरखपुर के बाहुबली हरिशंकर तिवारी का भी था। एक समय कुख्यात छवि वाले हरिशंकर को ही माफियाओं का अगुआ माना जाता है। ये वही हरिशंकर तिवारी थे, जिन्होंने सभी को दिखा दिया कि कैसे सियासत में रहने के साथ कानून से कबड्डी खेली जा सकती है।

अस्सी के दशक में यूपी का पूर्वांचल अपनी गति से बढ़ रहा था। गाजीपुर, वाराणसी, मिर्जापुर ये वो इलाके थे जहां कुछ गैंग्स सक्रिय थे और सड़क, रेल और कोयले के ठेकों को लेकर वर्चस्व की जंग लड़ रहे थे। वहीं गोरखपुर में हरिशंकर तिवारी का रुतबा कायम रहा। 1980 तक हरिशंकर अपराध का बड़ा नाम थे और उन पर हत्या, अपहरण, रंगदारी, वसूली, सरकारी काम में बाधा डालने और धमकी जैसे दो दर्जन से अधिक मामले दर्ज थे। लेकिन ये आरोप उन पर कभी साबित नहीं हुए।

जब बात 80 के दशक की और हरिशंकर तिवारी की हो तो वीरेंद्र शाही का भी नाम आता है। इस दौर में ब्राह्मण-ठाकुर के इस गुट में गैंगवार की घटना आम हो चुकी थी। ये वही वीरेंद्र शाही थे, जिन्हें कुख्यात डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला ने कुछ सालों बाद लखनऊ में गोली मारकर हत्या कर दी थी।

लेकिन सियासत में अपराधीकरण के जन्मदाता कहे जाने वाले हरिशंकर तिवारी ने 1985 में हल्ला तब मचा दिया जब जेल में रहते हुए ही विधानसभा का चुनाव जीत गए। फिर हरिशंकर तिवारी, गोरखपुर की चिल्लूपार सीट से 3 बार निर्दलीय तो 2 बार कांग्रेस के टिकट पर जीतकर विधायक रहे।

समय बीता और 1995 के बाद तो तिवारी सभी दलों की जरूरत बनते चलते गए क्योंकि तिवारी का रुतबा और सियासी दायरा अब गोरखपुर से आगे बढ़ चुका था। हरिशंकर के रसूख और सियासत में कभी फर्क नहीं रहा। सरकार किसी की भी हो तिवारी का दबदबा कायम रहा। साल 1998 में कल्याण सिंह की सरकार में मंत्री बनने का सफर 2007 तक जारी रहा। इस बीच रामप्रकाश गुप्ता, राजनाथ, मायावती और मुलायम की सरकारें रही।

साल 2007 और 2012 में तिवारी का भ्रम टूट गया, वह लगातार चुनाव हारे और फिर अब तक चुनाव नही लड़ा। इसके बाद उन्होंने अपने बेटे विनय शंकर तिवारी को राजनीतिक जिम्मेदारी दे दी। वहीं 2017 में तिवारी के घर ‘हाता’ में छापेमारी भी काफी चर्चा में रही।

लेकिन बीते साल के दिसंबर महीने में ही यूपी विधानसभा चुनाव से पहले चिल्लूपार से विधायक विनय शंकर तिवारी, पूर्व सांसद भीष्म शंकर उर्फ कुशल तिवारी भांजे गणेश पांडेय समेत हरिशंकर तिवारी का पूरा परिवार समाजवादी पार्टी में शामिल हो गया।