DM Verdict in Sanskrit: उत्तर प्रदेश के हमीरपुर की जिला मजिस्ट्रेट कोर्ट में शुक्रवार को अनोखा मामला सामने आया। दरअसल गैर जाति के लोगों को अपनी जमीन बेचने के एक मामले में डीएम ने संस्कृत भाषा में फैसला सुनाया गया। गौरतलब है कि हमीरपुर के जिलाधिकारी चंद्र भूषण त्रिपाठी ने संस्कृत में फैसला सुनाते हुए आदेश की कॉपी को भी इसी भाषा में सौंपी।
बता दें कि यूपी में सरकारी कामकाज के लिए आमतौर पर हिन्दी भाषा को प्रयोग होता है लेकिन हमीरपुर में एक फैसले को सुनाने के लिए जिलाधिकारी ने संस्कृत भाषा का प्रयोग किया। दरअसल अनुसूचित जाति के गिरवर राठ निवासी संतोष कुमार पुत्र करन सिंह के पास कुम्हारिया गांव में 2.9250 हेक्टेयर कृषि जमीन है। जिला मजिस्ट्रेड कोर्ट में किसान संतोष ने जानकारी दी कि उनके ऊपर सरकारी कर्जा है और साथ ही बीमारी से परेशान रहते हैं।
संतोष ने बताया कि आर्थिक तंगी से निपटने के लिए वो अपनी जमीन को दो हिस्सों में 0.4050 हेक्टेयर व 0.0930 हेक्टेयर गैर जाति के लोगो को बेचना चाहते हैं। उन्होंने अपील की कि जमीन बेचकर वो अपनी बीमारी का इलाज और कर्जा भी निपटाएंगे। वहीं संतोष की अपील पर मामले की जांच हुई और राठ तहसीलदार व एसडीएम राठ की रिपोर्ट के बाद जिला मजिस्ट्रेट कोर्ट ने सुनवाई के बाद संस्कृत में चार पेज का फैसला सुना दिया।
बता दें कि जिलाधिकारी चंद्र भूषण त्रिपाठी संस्कृत में पीएचडी किए हुए हैं। उन्होंने वादी और वकीलों को संस्कृत में आदेश सुनाया। गौरतलब है कि यह पहली बार था जब किसी जिला मजिस्ट्रेट ने शुद्ध संस्कृत में आदेश जारी किया था।
संस्कृत में फैसला सुनाने को लेकर डीएम त्रिपाठी ने कहा कि ऐसा करने के पीछे का उद्देश्य लोगों को संस्कृत को अपनाने के लिए प्रेरित करना है। संस्कृत सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक है। उन्होंने कहा, “भारत में अतीत में विकसित हुई संस्कृति, सभ्यता और ज्ञान को संस्कृत के बिना नहीं समझा जा सकता है।”
बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने भी संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए प्रेस विज्ञप्ति को इस भाषा में जारी करना शुरू किया था। साल 2020 में अंग्रेजी, हिंदी और उर्दू के अलावा प्रदेश सरकार के निर्देश पर कई विभागों में संस्कृत में प्रेस विज्ञप्ति जारी करना शुरू हुआ था।