ज्ञानवापी मस्जिद केस को लेकर आए कोर्ट के आदेश को ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने गलत बताया है। उन्होंने कहा है कि जज का फैसला गलत है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से जुड़े देश में तमाशा कर रहे हैं। देश आस्था से नहीं बल्कि संविधान से चलेगा।
उन्होंने ये बातें गुरुवार (12 मई, 2022) को हिंदी न्यूज चैनल एबीपी न्यूज पर सुमित अवस्थी के साथ बातचीत के दौरान कहीं। उन्होंने कहा- जैसे बाबरी को छीना गया, उसी तरह उस तारीख को दोहराया जा रहा है। मैं एक मस्जिद खो चुका हूं, जबकि एक अन्य को खोने के लिए तैयार नहीं हूं। कोर्ट के जज साहब का फैसला गलत है। मुझे इससे असहमत होने का अधिकार है।
सवाल जवाब के दौर के बीच उन्होंने एंकर के सामने यह भी सवाल उठा दिया- मैं अगर कहूंगा कि पीएम के घर या ऑफिस के नीचे मस्जिद है, तब क्या आप मेरी बात मान लेंगे और खुदाई करवाएंगे? बकौल ओवैसी, “जब बाबरी का फैसला आया था, तब मैंने उसके तालुक से कहा था कि वह फैसला आस्था की बुनियाद पर दिया गया है। लोग इसे इस्तेमाल करेंगे। वह चीज आज सच साबित हो रही है।” पत्रकार ने इंटरव्यू में आगे इतिहासकारों के हवाले से कहा कि वहां मंदिर के सबूत हैं। ओवैसी ने जवाब दिया- कल मैं जाकर कहूंगा कि पीएम के आधिकारिक आवास के नीचे मस्जिद थी, तब क्या आप मुझे वहां जाकर सर्वे करने की इजाजत देंगे? मैं कहूंगा कि इंटेलिजेंस ऑफिस के नीचे मस्जिद है, उसे खोदना चाहिए तो ऐसा होगा क्या?
सच जल्द आ जाएगा सामने- विहिपः वहीं, विहिप ने कोर्ट के फैसले की तारीफ की। साथ ही उम्मीद जताई कि ‘सच्चाई’ जल्द सामने आएगी। परिषद ने मस्जिद प्रबंधन समिति से कोर्ट के फैसले के अनुपालन में सहयोग करने की अपील भी की। विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने एक वीडियो मैसेज के जरिए कहा, ‘‘देश को अब उम्मीद करनी चाहिए कि पांच दिनों में सर्वे पूरा होने के बाद वे कोर्ट के सामने सच रख सकेंगे। आपत्ति करने की बजाए सभी पक्षों को सहयोग करना चाहिए।’’
क्या है अदालत के आदेश में?: दरअसल, वाराणसी के एक कोर्ट ने ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी कैंपस का सर्वे (वीडियोग्राफी) कराने के लिए नियुक्त कोर्ट कमिश्नर को पक्षपात के आरोप में हटाने से जुड़ी याचिका गुरुवार को खारिज कर दी। कोर्ट ने इस दौरान यह स्पष्ट किया कि इस मस्जिद के अंदर भी वीडियोग्राफी कराई जाएगी।
सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्रा को हटाने से जुड़ी अर्जी नामंजूर कर दी। साथ ही विशाल सिंह को विशेष कोर्ट कमिश्नर और अजय प्रताप सिंह को सहायक कोर्ट कमिश्नर के तौर पर नियुक्त किया। कोर्ट ने इसके साथ ही पूरे कैंपस परिसर की वीडियोग्राफी करके 17 मई तक रिपोर्ट पेश करने के निर्देश भी दिए।