हरियाणा के गुड़गांव में जमीन विवाद कोई नई बात नहीं है मगर ऐसे ही एक मामले ने प्रदेश पुलिस को बड़ी मुश्किल में डाल दिया है। पुलिस विभाग को दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के 13 लोगों में से उस असली ‘चरणजीत सिंह’ की पहचान करनी होगी, जिनमें से हर एक दिल्ली-जयपुर हाईवे पर स्थित 8 एकड़ जमीन का मालिकाना हक रखने का दावा करता है। विवादित जमीन की कीमत 400 करोड़ रुपए है।
इस बीच पुलिस का मानना है कि हो सकता है असली चरणजीत सिंह और उसकी पत्नी की मौत हो गई हो और उनका कोई कानूनी उत्तराधिकारी नहीं हो। मामले में गुड़गांव के एक आईटीआई कार्यकर्ता रमेश यादव की शिकायत पर गुड़गांव सेक्टर 37 पुलिस स्टेशन में आईपीसी की विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया गया है। मगर कोरोना वायरस महामारी के चलते लॉकडाउन के कारण पुलिस को पूछताछ और लोगों को ट्रेस करने में खासा संघर्ष करना पड़ रहा है।
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जमीन के दावेदारों में से छह के नाम चरणजीत सिंह हैं और उनमें से प्रत्येक नंदी सिंह का बेटा होने का दावा कर रहा है- जैसा कि राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज है। ये सभी दावेदार उत्तर प्रदेश (पीलीभीत), पंजाब (पटियाला और आनंदपुर साहिब) और उत्तराखंड (उधम सिंह नगर) निवासी हैं। सातवां दावेदार गुरनाम सिंह है, उसका दावा है कि वो चरणजीत सिंह का बेटा है।
बाकी छह ने या तो जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी का हवाला दिया है या उनके पक्ष में एक पंजीकृत वसीयत या फिर जमीन ब्रिकी समझौता का दावा किया है। इन लोगों के नाम है हरि मोहन सिंह, गजेंदर सिंह, हरीश आहूजा, दिलीप, रविंदर सिंह और मनीष भारद्वाज। ये सभी लोग गुड़गांव या दिल्ली निवासी हैं।
राजस्व रिकॉर्ड में जमीन के मालिकों का जिक्र चरणजीत सिंह (नंदी सिंह का बेटा), उनकी पत्नी मनजीत कौर, नई दिल्ली के ग्रेटर कैलाश निवासी के रूप में किया गया है। हालांकि उनका अब तक कुछ पता नहीं चला है।
विवादित जमीन 64.14 कनाल (लगभग 8 एकड़) है, जो कि दिल्ली-जयपुर नेशनल हाईवे-48 पर नरसिंहपुर गांव में है। ये जमीन 7 अगस्त, 2014 को तत्कालीन भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली सरकार ने अधिग्रहित की थी। जमीन का अधिग्रहण एक परिवहन और संचार जोन बनाने के उद्देश्य से किया गया था। उस समय भूमि अधिग्रहण अधिनियम की धारा 9 के तहत जमीन के मालिक को 44.01 करोड़ रुपए का मुआवजा दिया गया था।
हालांकि ये सौदा बीच में अटक गया क्योंकि इसी प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहित भूमि के अन्य भूखंडों के मालिक कोर्ट पहुंच गए और मुआवजा बढ़ाकर देने की मांग की। आखिरकार कुछ बाद साल बाद आठ एकड़ की जमीन 200 करोड़ रुपए से अधिक की हो गई। ब्याज के हिसाब के बाद इस जमीन की कीमत अब करीब 400 करोड़ रुपए बैठती है।

