गुजरात में विधानसभा का चुनाव नजदीक हैं। इस बीच सत्तारूढ़ भाजपा ने मछुआरों के लिए डीजल और मिट्टी के तेल का कोटा बढ़ाने की घोषणा की है। मछुआरा समुदाय राज्य की 9 सीटों पर प्रभाव रखता है। ऐसे में भाजपा सुनिश्चित करना चाहती है कि यह समुदाय पार्टी से दूर न जाए।

पहले मछुआरे गुजरात फिशरीज सेंट्रल कोऑपरेटिव एसोसिएशन या उसकी सहयोगी सहकारी समितियों द्वारा संचालित पेट्रोल पंपों से ही ईंधन खरीद सकते थे, लेकिन अब वह किसी भी सरकारी मान्यता प्राप्त पेट्रोल पंप से सब्सिडी वाला डीजल खरीद सकते हैं।

केरोसिन के मामले में ऑन-बोर्ड मोटर बोट के लिए प्रति लीटर सब्सिडी 25 रुपये से बढ़ाकर 50 रुपये कर दी गई है। सरकार ने यह भी घोषणा की है कि पेट्रोल से चलने वाली नावों को भी केरोसिन सब्सिडी योजना के तहत कवर किया जाएगा।

मछुआरा समुदाय के नेता और भाजपा के पूर्व राज्यसभा सांसद चुन्नी गोहिल ने कहा है, ”ये बहुत अच्छी घोषणाएं हैं। मछुआरे लंबे समय से लंबित मांगों के कारण भाजपा से दूर जाने लगे थे और सोचने लगे थे कि उन्हें पार्टी से उनका हक कभी नहीं मिलेगा।”

गोहिल ने कहा है कि इस कदम का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाना चाहिए, जो हमेशा गुजरात के मछुआरों के मुद्दों के प्रति संवेदनशील रहे हैं। गोहिल विधायक और सांसद (क्रमशः 1998 और 2014 में) के तौर पर चुने जाने वाले मछुआरा समुदाय के एकमात्र व्यक्ति हैं।

अखिल भारतीय मछुआरा संघ के अध्यक्ष और भाजपा नेता वेल्जी मसानी ने घोषणाओं का स्वागत तो किया है, लेकिन उसे अपर्याप्त बताया है। मसानी का कहना है कि डीजल कोटा मछुआरे की मांग से काफी कम है और उत्पाद सब्सिडी की मांग अभी भी पूरी नहीं हुई है।  

1600 किलोमीटर लंबे तट के साथ, गुजरात भारत का प्रमुख समुद्री मछली उत्पादक राज्य है। 2019-20 में मछलियों के राष्ट्रीय उत्पादन में गुजरात का योगदान 7.01%  था। राज्य में लगभग 29,000 पंजीकृत मछली पकड़ने वाली नावें हैं, जिनमें से लगभग 20,000 सक्रिय हैं। मत्स्य उद्योग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 1.5 करोड़ लोगों को रोजगार देता है।

मसानी बताते हैं कि खारवास, मोहिला कोली, मछियारा मुस्लिम, भील, टंडेल, माछी, कहार, वाघेर और सेलर सहित लगभग 18 जाति समूह पारंपरिक मछुआरे हैं। वे पोरबंदर विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं के दूसरे सबसे बड़े समूह हैं। साथ ही सोमनाथ सीट पर परिणाम को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।

पोरबंदर, वेरावल और सोमनाथ के अलावा द्वारका, मंगरोल, राजुला, मांडवी (कच्छ), कोडिनार, ऊना आदि निर्वाचन क्षेत्रों में भी मछुआरे मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा हैं।

पोरबंदर में ‘खारवा चिंतन समिति’ नाम से मछुआरों की एक समिति है। इस समिति के अध्यक्ष जीवन जंगी ने इस पूरे मामले को अलग तरह से देखते हैं। वह कहते हैं,  किसी भी पेट्रोल पंप से डीजल खरीदने की अनुमति देने का निर्णय वास्तव में उल्टा पड़ेगा क्योंकि यह मछुआरों द्वारा संचालित सहकारी समितियों के लिए कयामत साबित होगा। हाल ही में कांग्रेस से आम आदमी पार्टी (आप) में शामिल हुए और पोरबंदर से चुनाव लड़ रहे जंगी ने कहा है, “यह नीति सहकारी समितियों द्वारा चलाए जा रहे पेट्रोल पंपों को बंद करने और मछुआरा संगठनों को नष्ट करने के लिए मजबूर करेगी।”

जंगी ने कहा है कि ‘आप’ जल्द ही मछुआरा समुदाय के लिए चुनावी वादे लेकर आएगी, जिसमें आप संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा घोषित गारंटी कार्ड योजना भी शामिल है।

उधर गोहिल ने कहा है कि “समुदाय का दृढ़ विश्वास है कि विधानसभा में उनका और उनके मुद्दों का प्रतिनिधित्व करने के लिए कोई उनका अपना होना चाहिए।”