गुजरात में राष्‍ट्रीय कांग्रेस पार्टी (NCP) के कुटियाना से विधायक कंधाल जडेजा को राजकोट की एक अदालत ने बुधवार (20 अप्रैल 2022) को न्यायिक हिरासत के मामले में दोषी ठहराते हुए 18 महीने की जेल की सजा सुनाई है।

राजकोट के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एसवी मंसूरी की अदालत ने कंधाल को आईपीसी की धारा 224 के तहत दोषी ठहराया है, 18 महीने के कारावास की सजा के साथ ही उन पर 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

अदालत ने सबूतों के अभाव में उनकी पत्नी मनीषा करावाड्रा और 11 अन्य आरोपियों को भी बरी कर दिया। बरी किए गए लोगों में चार पुलिस कांस्टेबल सुरेश सोनारा, विट्ठल जादव, दिलीप सिंह राजपूत और प्रवीण गोहेल और दो डॉक्टर- डॉ पोपट और डॉ परमार शामिल हैं। यह आरोप लगाया गया था कि उन्होंने 5 फरवरी और 6 फरवरी, 2007 की मध्यरात्रि में राजकोट के शिवानी अस्पताल से कंधाल के भागने की साजिश रची थी।

कंधाल 2005 में भाजपा पार्षद केशु ओडेडरा की हत्या के आरोप में न्यायिक हिरासत में रहने के दौरान अस्पताल से भाग गया था। कंधाल की मां संतोक बेन जडेजा, उनके तीन भाई – करण, भोज और कानो – और पांच अन्य इस मामले में आरोपी थे।

लगभग दो साल तक फरार रहने के बाद कंधाल को अंततः 2009 में पुणे के पास से पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस ने इस मामले में 2010 में आरोप पत्र दायर किया था। इस मामले की सुनवाई के दौरान ही आरोपी डॉक्‍टर शाह की मौत हो गई, जिसके बाद उनके खिलाफ सुनवाई रोक दी गई।

अभियोजन पक्ष की ओर से पेश किए गए मामले के मुताबिक, डॉ पोपट ने जाली मेडिकल कागजात तैयार किए जिनकी मदद से जडेजा को वास्तव में बीमार नहीं होने के बावजूद अस्पताल में रहने में मदद मिली। डॉक्‍टर पोपट के वकील तुषार गोकानी ने बताया कि हमने उन गवाहों से क्रॉस एग्‍जामिशेन किया, जिन्‍होंने अभियोजन पक्ष के गवाहों के रूप में गवाही दी थी। हमने उनसे पूछताछ में यह साबित किया कि डॉ पोपट ने जडेजा को उस तरह का इलाज दिया था जैसा कोई भी डॉक्टर किसी मरीज को सामान्य स्थिति में देता है। अदालत ने हमारे सबमिशन के साथ सहमति व्यक्त की और डॉ पोपट को बरी कर दिया।