‘मुठभेड़ विशेषज्ञ’ डी जी वंजारा सहित कुछ अन्य सेवानिवृत आईपीएस अधिकारियों ने आज एक एनजीओ का गठन किया जिसका मकसद आतंकवाद के पीड़ितों के साथ-साथ आतंकवादी गतिविधियों में नामजद आरोपियों के परिजनों को वित्तीय एवं कानूनी मदद मुहैया कराना है।  गुजरात के पूर्व डीजीपी एस एस खंडवावाला और महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी के पी रघुवंशी ‘जस्टिस फॉर विक्टिम्स आॅफ टेररिजम’ नाम के इस एनजीओ के क्रमश: अध्यक्ष और उपाध्यक्ष होंगे जबकि गुजरात में दो फर्जी मुठभेड़ के मामलों में आरोपी वंजारा इसके महासचिव होंगे।खुफिया ब्यूरो (आईबी) के पूर्व विशेष निदेशक राजिंदर कुमार, जिनके खिलाफ इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ मामले में आरोप-पत्र दाखिल किया गया था, गुजरात उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी जे सेठना और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य एवं दिल्ली और जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश रह चुके न्यायमूर्ति बी सी पटेल ने उद्घाटन समारोह में हिस्सा लिया ।

खंडवावाला ने कहा कि आतंकवाद के पीड़ितों की सही तरीके से मदद करने और उन्हें मुआवजा दिए जाने से इस समस्या पर काबू पाने में मदद मिल सकती है और एनजीओ इसी दिशा में काम करेगा । उन्होंने कहा, ‘‘आतंकवादियों की ओर से मारे गए लोगों के परिवारों, आतंकवादियों की ओर से आरोपी बनाए गए लोगों और आतंकवादियों से मुकाबला कर रहे सुरक्षा बलों’’ को मदद करने का काम यह एनजीओ करेगा ।

उन्होंने कहा, ‘‘यदि किसी आतंकवादी के खिलाफ आरोप साबित हो जाते हैं तो :जांच एजेंसी और सरकार: कहते हैं कि काम हो गया । लेकिन पीड़ितों का क्या ? यहां तक कि आरोपी भी इस देश का नागरिक है । यदि वह जेल जाता है तो उसके परिवार का क्या ? हमें आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए इस दिशा में भी सोचना होगा ।’

उन्होंने कहा कि यह एनजीओ एक गैर राजनीतिक संगठन होगा । वंजारा ने कहा, ‘‘जब गुजरात में आतंकवाद ने अपना सिर उठाया तो पुलिस, नेताओं और केंद्रीय एजेंसियों ने सकारात्मक तरीके से काम किया और संवैधानिक प्रावधानों, पुलिस नियमावली एवं आईपीसी कानूनों के दायरे में रहकर पुलिस ने सही मुठभेड़ कीं और इसे दूसरा कश्मीर बनने से बचाया ।’ उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की वजह से गुजरात एक शांतिपूर्ण राज्य बन सका ।