राज्यसभा चुनाव से पहले मध्यप्रदेश में बगावत के बाद अब गुजरात में भी कांग्रेस में बगावत का खतरा मंडरा रहा है। 26 मार्च को ऊपरी सदन के चुनाव से पहले पार्टी ने अपने विधायकों को खरीद फरोख्त से बचाने के लिए उन्हें जयपुर में रखा हुआ है। इस बीच पार्टी में बगावत रोकने की जिम्मेदारी पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी पर आ गई है।

गुजरात के कांग्रेस विधायकों ने राज्य की सीटों पर उम्मीदवार तय करने के लिए पार्टी आलाकमान को अधिकृत किया है। जयपुर में ठहरे गुजरात के कांग्रेस विधायकों से अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पर्यवक्षकों ने मंगलवार को बैठक कर राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवारों के बारे में राय जानी।

पार्टी सूत्रों ने बताया कि बैठक में सभी विधायकों ने समवेत स्वर में प्रस्ताव पारित कर उम्मीदवारों के नाम पर निर्णय लेने के लिये पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को अधिकृत किया। ऐसे में देखना होगा कि सोनिया गांधी की तरफ से तय किए गए उम्मीदवारों से पार्टी के विधायक एकजुट रह पाते हैं या नहीं? विधायकों की राय जानने के बाद पर्यवेक्षक अब दिल्ली जाकर सोनिया गांधी से मिलेंगे।

गुजरात में राज्यसभा की चार सीटों पर चुनाव होना है। इसके लिए कांग्रेस ने दो जबकि भाजपा ने तीन उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि 18 मार्च है। मतदान से पहले गुजरात कांग्रेस के पांच विधायकों ने त्यागपत्र दे दिया है जबकि शेष 68 जयपुर—दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित एक लग्जरी होटल में ठहरे हुए हैं। पार्टी ने पिछले तीन दिन में विधायकों को अहमदाबाद से जयपुर शिफ्ट किया है।

182 सदस्यों वाली विधानसभा में एक निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी के समर्थन से कांग्रेस के विधायकों की संख्या 73 है। पार्टी दो उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारने की योजना बना रही है लेकिन पांच विधायकों के त्यागपत्र देने से संख्याबल की गणित बिगड़ गई है। 74 विधायकों के आधार पर कांग्रेस दो सीटों पर जीत दर्ज कर सकती थी।