भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) की परीक्षा पास करके कई महिलाएं अधिकारी बनती हैं। अक्सर वे पुलिस थानों में डेस्क पर ही काम करती दिखती हैं, कम ही ऐसा होता है कि वे फील्ड में काम करती दिखे। लेकिन रविवार (05 मई) को गुजरात एटीएस (एंटी टेररिज्म स्क्वॉड) की टीम ने इस धारणा को तोड़ा और सभी महिला पुलिस अधिकारियों को बोटाड के जंगलों में भेज दिया गया, जहां उनका सामना जून 2018 से फरार चल रहे एक बेहद खतरनाक अपराधी से होना था।
एटीएस की उप-महानिरीक्षक (डीआईजी) हिमांशु शुक्ला ने पांच लोगों की एक टीम बनाई जिसमें चार महिला अधिकारी शामिल थीं। रविवार की सुबह जुसाब अल्लारखा को गुजरात एटीएस की चार महिला पुलिस अधिकारियों संतोक ओडेड्रा (टीम लीडर), नितमिका गोहिल, अरुणा गामेती और शकुंतला माल के साथ बोटाड में धरदबोचा। चारों ने जुसाब की सूचना मिलने पर बोटाड के देवगढ़ फॉरेस्ट इलाके में दबिश दी। टीम ने वहां पहुंचकर जुसाब को ढूंढकर पकड़ लिया। जुसाब कुख्यात अपराधी है जिस पर मर्डर, जबरन वसूली, लूट और इस तरह के कुल 23 गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से ज्यादातर मुकदमे अहमदाबाद, राजकोट और जूनागढ़ में दर्ज हैं।

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हिमांशु शुक्ला ने कहा कि एटीएस में यह कोई नई बात नहीं है। उनका कहना है कि एटीएस में महिला अधिकारियों को भी कई बार फील्ड ऑपरेशन्स में भेजा गया है। लेकिन यह पहली बार हुआ जब महिला अधिकारियों की टीम का नेतृत्व भी महिला ने ही किया। डीएनए से बातचीत में शुक्ला ने कहा, ‘ये सभी बहादुर अधिकारी कई महत्वपूर्ण मामलों में सहायक साबित हुई हैं। हम महिला-पुरुष अधिकारियों के बीच भेदभाव नहीं करते।’
उनकी बातों पर संतोक ओडेड्रा ने भी सहमति जताई और कहा, ‘मैंने कभी भेदभाव महसूस नहीं किया। लेकिन कुछ लोग ऐसे हो सकते हैं जो मानते हैं कि महिला अधिकारी सिर्फ डेस्क जॉब के लिए होती हैं।’