Gujarat Assembly Election 2022: दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को भारतीय जनता पार्टी पर सूरत से आप उम्‍मीदवार कंचन जरीवाला के अपहरण का आरोप लगाया था। जिसके बाद बुधवार को ही कंचन ने अपना नामांकन वापस ले लिया था। कंचन ने कहा था कि उन्होंने इसलिए अपना नाम वापस लिया क्योंकि पार्टी वाले उनसे पैसे मांगने लगे थे।

जरीवाला के पीछे हटने के बाद आप के पास सूरत (पूर्व) में सलीम मुल्तानी के रूप में एक कमबैक उम्मीदवार है, लेकिन नियमों के अनुसार मुल्तानी पार्टी के जनादेश पर नहीं लड़ सकते हैं। आप के कानूनी सलाहकार एडवोकेट आरिफ अंसारी ने बताया, “कानूनी प्रावधान के अनुसार अगर कंचन जरीवाला का चुनाव फॉर्म खारिज कर दिया गया होता, तो सलीम मुल्तानी खुद-ब-खुद आप के आधिकारिक उम्मीदवार बन जाते। चूंकि आप उम्मीदवार ने खुद नाम वापस ले लिया है ऐसे में मुल्तानी निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे।

कांग्रेस उम्मीदवार ने मांगा आप नेताओं से समर्थन: इस बीच, सूरत (पूर्व) से कांग्रेस के उम्मीदवार असलम साइकिलवाला ने आप नेताओं से अपील की है कि अब उनका समर्थन करें क्योंकि उनके उम्मीदवार ने नाम वापस ले लिया है। एक फेसबुक पोस्ट में साइकिलवाला ने लिखा कि जरीवाला को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सी आर पाटिल के सीधे निर्देश पर अपना नामांकन वापस लेने के लिए मजबूर किया गया था। पूर्व नगर निगम पार्षद साइकिलवाला ने लिखा, “अगर आप लोकतंत्र में और समाज से ऐसे असामाजिक तत्वों को खत्म करना चाहते हैं, तो सूरत ईस्ट 159 विधानसभा सीट पर मेरा खुलकर समर्थन करें।”

मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच: वहीं, बीजेपी के प्रवक्ता जगदीश पटेल ने कहा, “अब बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होगा और हम अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हैं। चुनाव में आप की मौजूदगी से हमें कोई फर्क नहीं पड़ता।”

दूसरी ओर नाटकीय घटनाक्रम में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार के नामांकन वापस लेने के बावजूद, सूरत (पूर्व) सीट पर पार्टी के लिए शायद ज्यादा संभावना नहीं थी। कंचन जरीवाला 2021 में कांग्रेस के टिकट पर इस निर्वाचन क्षेत्र के एक वार्ड से लड़ा गया नगर पालिका चुनाव हार गए थे। इस चुनाव में भाजपा ने सभी 15 वार्ड सीटों पर जीत हासिल की थी।

2017 के विधानसभा चुनाव में भी आप ने सूरत (पूर्व) में ज्यादा वोट हासिल नहीं किए थे। पारती को सूरत (पूर्व) में केवल 0.22% वोट मिले थे, यहां तक कि NOTA (0.86%) से भी पीछे। मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही रहा।