समुद्र के रास्ते दुनिया भर में पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्यरत अंतरराष्ट्रीय संगठन ग्रीनपीस के जहाज रेनबो वारियर ने भारत को ऊर्जा संरक्षण का प्रत्यक्ष संदेश देने के साथ महिला सशक्तिकरण का भी परोक्ष पैगाम दिया है। चार दशक की अपनी समुद्री यात्रा के दौरान पहली बार भारत आए रेनबो वारियर के संचालक दल में कप्तान से लेकर प्रबंधन समूह तक सभी अहम जिम्मेदारियों की कमान महिलाओं के हाथ में है। अत्याधुनिक खूबियों से लैस इस विशालकाय जहाज की कप्तान हेटी ग्रीनन की 15 सदस्यीय क्रू टीम में आठ महिलाओं की मौजूदगी ने भारत में अपने पड़ाव के दौरान महिला सशक्तिकरण का संदेश दिया है। यह महज संयोग ही है कि भारत में नारी शक्ति की प्रतीक पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नाम पर मुंबई के इंदिरा डॉक पर रेनबो वारियर का पड़ाव हुआ है।

नीदरलैंड की हेटी ने भारत से अपने पुराने पुराने रिश्तों को याद करते हुए बताया कि इंदिरा गांधी भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में महिला सशक्तिकरण की प्रतीक हैं। उनके नाम पर बने इस डॉकयार्ड पर रेनबो वारियर के पहले पड़ाव को ऐतिहासिक मानते हुए हेटी ने बताया कि 1990 के दशक में अपने भारत प्रवास के दौरान इंदिरा गांधी से प्रभावित होकर ही उन्होंने पर्यावरण संरक्षण को अपना करियर और ग्रीनपीस को माध्यम बनाया था। उनकी अगुवाई में जहाज की अग्रिम दो पंक्ति की कमान महिलाओं के हाथ में है। जबकि जहाज के क्रू की तीसरी पंक्ति की कमान दिल्ली के अमृत कुमार के हाथ में है।

भारत में गोवा और मुंबई के बाद कोच्चि समुद्र तट पर एक पखवाड़े के पड़ाव के दौरान रेनबो वारियर सरकारी और गैर सरकारी समूहों को प्रशिक्षण के मार्फत पर्यावरण संरक्षण के तरीके से वाकिफ तो करा ही रहा है साथ ही अपनी कार्यशैली से महिला सशक्तिकरण और किसानों की समृद्धि का संदेश भी दे रहा है। रेनबो वारियर की पहली भारत यात्रा के हमसफर होने पर खुशी जताते हुए युवा नाविक अमृत ने बताया कि यह जहाज दुनिया के उन चुनिंदा हाइब्रिड जहाजों में शुमार है जो अपने सफर का तीन चौथाई हिस्सा ईंधन के बजाय समुद्री हवाओं की मदद से ‘सेलिंग’ के माध्यम से करता है।

उन्होंने बताया कि इतने बड़े जहाज की 90 फीसदी तक यात्रा 50 फुट ऊंचे पाल के सहारे करना बेहद चुनौती भरा काम है लेकिन सूझबूझ और तकनीक की मदद से रेनबो वारियर ईंधन जनित समुद्री प्रदूषण कम करने की विश्वव्यापी मुहिम चला रहा है। जहाज सिर्फ किसी बंदरगाह से यात्रा शुरू करते समय और समुद्र में हवा का विपरीत रुख होने पर ईंधन चलित इंजन का इस्तेमाल करता है , शेष समय पाल की मदद से नौकायन से सफर तय किया जाता है। गोवा और मुंबई के बाद जहाज का अगला पड़ाव कोच्चि और फिर श्रीलंका होगा।

शनिवार को रेनबो वारियर की भारत में इस मुहिम का हिस्सा रंगमंच और फिल्मी हस्तियों के अलावा बिहार के किसान भी बने। अभिनेत्री रवीना टंडन, रंगकर्मी सुहासिनी मुले, सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील वृंदा ग्रोवर और लघुफिल्म निर्माता आनंद पटवर्धन ने पर्यावरण की चुनौतियों से निपटने में इस तरह के शोधपरक अभियानों के महत्त्व को स्वीकार किया। अभिनयजगत की इन दिग्गज हस्तियों ने माना कि भारत में पर्यावरण के लिए लोगों को हर तरीके से जागरूक करना होगा और इस काम में वे अपनी कला के माध्यम से मदद करेंगे। इसमें फिल्म निर्माण और रंगमंच से लेकर इस तरह के आयोजनों में शिरकत करने तक, हर संभव प्रयास शामिल होगा। भारत प्रवास के दौरान रेनबो वारियर पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्यरत किसानों और विशेषज्ञों को प्रशिक्षण दे रहा है। इसमें मुंबई से कोंिच्च तक की पांच दिन की यात्रा के दौरान नौवहन से जुड़े भारतीय युवाओं को ईंधन रहित समुद्री यात्रा के गुर सिखाए जाएंगे।