बिहार में अराजकता की शिकायत हमेशा से की जाती रही है और सभी दलों के नेताओं पर इसको लेकर सवाल उठाए जाते रहे हैं। तमाम कोशिशों के बाद भी भूमि विवाद, सरकारी जमीनों पर कब्जे आदि पर लगाम नहीं कसी जा सकी है। नया मामला पंचायत भवन को ही बेच देने का है। आरोप है कि गांव के विनय कुमार ने अपनी भूमि पंचायत भवन बनवाने के लिए दान की थी। अब उनका आरोप है कि उस सरकारी संपत्ति को मुखिया और पंचायत सेक्रेटरी ने मिलीभगत करके पहले गिरवा दिया और फिर बेच दिया। यह क्षेत्र बिहार के भूमि सुधार और राजस्व मंत्री रामसूरत राय के विधानसभा क्षेत्र औराई में पड़ता है।
बिहार में इस तरह की घटनाएं पहली बार नहीं हो रही हैं। इसके पहले भी ऐसी घटनाएं होती रही हैं। कुछ दिनों पहले सासाराम में लोहे के पुल को ही धीरे-धीरे स्थानीय चोरों ने तोड़कर बेच डाले थे। अराजकता का आलम यह है कि कुछ समय पहले लोगों ने समस्तीपुर में रेलवे इंजन को बेच दिया। कुढ़नी में एक स्वास्थ्य केंद्र का सौदा कर लिया।
इसको लेकर विपक्ष सरकार पर लगातार हमले बोल रहा है, लेकिन अफसर चोरों और भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों पर लगाम नहीं कस पा रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस मामले में मंत्री की भी भूमिका की जांच की जानी चाहिए। हालांकि पंचायत भवन बेचने के मामले में मुखिया ने खुद को निर्दोष बताया है और कहा है कि आरोप निराधार है।
स्थानीय तहसील के अफसरों ने मुखिया से पंचायत भवन को गिराए जाने के बारे में स्पष्टीकरण मांगा तो उसने कोई जवाब नहीं दिया। आरोप है कि अब अफसर मामले को दबाने में जुट गए हैं।
हाल ही में बिहार के सुल्तानगंज में एक निर्माणाधीन सड़क पुल के एक हिस्से के ढह जाने पर अफसरों ने ‘तेज हवाओं’ को जिम्मेदार बताया। इसको लेकर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने हैरानी जताई और कहा कि आईएएस अधिकारी की इस बात से हैरान हूं। सुल्तानगंज में गंगा पर एक निर्माणाधीन सड़क पुल का एक खंड 29 अप्रैल को आंधी के दौरान गिर गया था। इस घटना में किसी के हताहत होने की कोई खबर नहीं है।