पश्चिम बंगाल में 2021 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा को बड़ा झटका लगा है। दार्जिलिंग में अलग राज्य के लिए आंदोलन के बाद 2017 से फरार चल रहे गोरखा जनमुक्ति मोर्चा सुप्रीमो बिमल गुरुंग ने बुधवार को एनडीए छोड़ दिया। गुरुंग ने कहा कि उनके संगठन ने एनडीए से बाहर होने का फैसला किया है।
उन्होंने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पहाड़ी क्षेत्र के लिए ‘‘स्थायी राजनीतिक समाधान तलाशने में नाकाम रही है।’’ करीबी सहयोगी रोशन गिरि के साथ सामने आए गुरुंग ने कहा कि केंद्र सरकार 11 गोरखा समुदायों को अनुसूचित जनजाति के तौर पर चिन्हित करने के अपने वादे को पूरा करने में नाकाम रही है। उन्होंने 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ मुकाबले में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस का समर्थन करने का संकल्प जताया।
गुरुंग ने यहां एक होटल में संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘2009 से ही हम राजग का हिस्सा रहे हैं लेकिन भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने पहाड़ के लिए स्थायी राजनीतिक समाधान निकालने का अपना वादा नहीं निभाया। उसने अनुसूचित जनजाति की सूची में 11 गोरखा समुदायों को शामिल नहीं किया। हम ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं इसलिए आज हम एनडीए छोड़ रहे हैं।’’
गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) नेता गुरंग ने कहा कि पहाड़ छोड़ने के बाद वह तीन साल नयी दिल्ली में रहे और दो महीने पहले झारखंड चले गए थे। उन्होंने कहा, ‘‘अगर आज मैं गिरफ्तार हो गया तो कोई दिक्कत नहीं।’’ आंदोलन में कथित तौर पर हिस्सा लेने के लिए गुरुंग के खिलाफ 150 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए थे।
मालूम हो कि 2016 के बंगाल चुनाव में तीन सीटों पर चुनाव लड़ा था। मोर्चा को तीनों सीटों पर जीत मिली थी। ऐसे में इस बार मोर्चा के ममता बनर्जी के साथ आने से भाजपा को इन तीनों सीटों पर जीत हासिल करने में मुश्किल पेश आ सकती है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)