अजित राय
गोवा फिल्मोत्सव के विश्व सिनेमा खंड में दिखाई गई स्वीडन के रूबेन ओसलुंड की बहुचर्चित फिल्म ‘द स्क्वायर’ एक दार्शनिक व्यंग्य है जिसे कई सशक्त दृश्यों के कोलाज में रचा गया है। फिल्म का नायक क्रिस्टियान स्वीडन की सबसे बड़ी आर्ट गैलरी का सेलिब्रेटी क्यूरेटर है जो अपनी पत्नी से तलाक के बाद दो बेटियों की देखभाल करता है।

उसका नया शो ‘द स्क्वायर’ शुरू होनेवाला है जिसमें दर्शकों को चुनने के लिए कुछ विकल्प दिए जाते हैं जिससे उनमें अच्छा मनुष्य बनने की जिम्मेदारी की भावना आए। इसी बीच उसका फोन चोरी हो जाता है। वह गूगल से पता करता है कि फोन शहर से बाहर एक अपार्टमेंट में कहीं है। आधी रात उस अपार्टमेंट में जहां मुख्य रूप से शरणार्थी रहते है, वह एक धमकी भरी चिट्ठी सभी घरों के मेलबॉक्स में डाल आता है कि आपके किसी बच्चे ने मेरा फोन चुरा लिया है।
उधर, गैलरी की पीआर एजंसी प्रदर्शनी के आक्रामक प्रचार की ऐसी ऐसी तरकीबें करती है कि अंतत: क्रिस्टियान को इस्तीफा देने पर मजबूर होना पड़ता है। एजंसी सोशल मीडिया पर एक वीडियो क्लिप डालती है जिसमें एक भिखारी को ‘द स्क्वायर’ में घुसते ही विस्फोट में मरता हुआ दिखाया गया है। इसपर जबरदस्त हिट्स तो मिलता है पर प्रदर्शनी विवादों में आ जाती है। क्रिस्टियान ने बिना क्लिप देखे एजंसी को अभियान की अनुमति दे दी थी, इसलिए वह एक प्रेस कांफ्रेंस बुला कर अपने इस्तीफे की घोषणा करता है।

‘द स्क्वायर’ दरअसल यूरोपीय पूंजीवाद के ठहराव में व्यक्ति, समाज, कला, राज्य में घटती आस्थाओं और बढ़ते अविश्वास का दस्तावेज है। स्वीडन जैसे उदार समाज में पहली बार 2008 में एक ऐसी हाउसिंग सोसायटी बनती है जहां किसी दूसरे का प्रवेश वर्जित है। कला के कारोबार के नाम पर हर आलतू फालतू मूर्खता को मानते चले जाने से यह ठहराव बढ़ता जा रहा है। मतलब यूरोप के महान माने गए कला विमर्श पर तीखा व्यंग्य करते हुए फिल्म बताती है कि इसका किसी से कुछ लेना देना नहीं है।

एक रात क्रिस्टियान अमेरिकी पत्रकार ऐन के साथ हमबिस्तर होता है। कुछ दिन बाद ऐन आर्ट गैलरी में उसे इस घटना की याद दिलाती है। हम ऐसे दौर में पहुंच गए हैं कि जिस स्त्री के साथ रात बिताते हैं, सुबह तक उसका नाम तक याद नहीं रखते। प्रदर्शनी के उद्घाटन की शाम एक दिलचस्प दृश्य भोज के बाद के खेल का है। बॉडी मूवमेंट का एक नामी अभिनेता (क्रिस्टोफर लेसो) डार्विन के पशु सिद्धांत पर अभिनय करता हुआ बेकाबू होकर खुद जानवर बन जाता है।

उधर ‘द स्क्वायर’ में दर्शकों से बटन दबाकर जवाब देने को कहा जाता है कि-वे दूसरों पर कितना भरोसा करते हैं। शरणार्थी कॉलोनी का एक लड़का दिन रात क्रिस्टियान का पीछा करता है क्योंकि उसके मां – बाप उस चिट्ठी के कारण उसे चोर समझते हैं जबकि वह बेगुनाह है। उसकी जिद है कि क्रिस्टियान उसके मां-बाप से अपनी चिट्ठी के लिए माफी मांगे। आर्ट गैलरी में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में क्रिस्टियान अपने इस्तीफे की घोषणा करता है। यहां हम प्रेस की कई अप्रिय छवियों को देख दुखी हो सकते हैं। शॉपिंग माल में क्रिस्टियान एक भिखारी को अपने सामान की रखवाली करने को कहकर छुप जाता है कि पता चले कि भिखारी कितना ईमानदार है। इस वर्ष कान फिल्म समारोह में बेस्ट फिल्म का ‘पॉम डि ओर’ पुरस्कार जीतने के बाद रूबेन ओसलुंड की ‘द स्क्वायर’ आॅस्कर पुरस्कार की दौड़ में है।