कांग्रेस के गढ़ अमेठी में बरौलिया और हरिहरपुर गांव के लोगों ने गोवा के दिवंगत मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर से जुड़ा एक खास वाक्या साझा किया है। पर्रिकर ने साल 2015 में बरौलिया और उसके बाद 2017 में हरिहरपुर गांव गोद लिया था। उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सांसद बनने के बाद पर्रिकर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में रक्षामंत्री बने थे। दिवंगत सीएम द्वारा इन गावों को गोद लेने के थोड़े दिनों में इनकी हालत सुधर गई। पर्रिकर ने ना सिर्फ अच्छी सड़कें, स्कूल, सोलर लाइटें और स्किल डेवलपमेंट कैंप लगवाए बल्कि सरकारी प्राथमिक स्कूलों और तालाबों का सौंदर्यीकरण करवाया। पर्रिकर लगातार दोनों गांवों के ग्रामीणों के संपर्क में रहे। उन्होंने बहुत से लोगों को दिल्ली तक बुलाया ताकि बड़ी योजनाओं को गावों तक लाने की रणनीति पर विचार-विमर्श किया जा सके। अब उनके निधन के बाद अमेठी के ग्रामीण केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ से अपील कर दोनों गांव में पर्रिकर की मूर्ति लगवाने की योजना बना रहे हैं।
मामले में बरौलिया गांव के पूर्व ग्राम प्रधान सुरेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि अगर सरकारी मदद और फंडिंग से मूर्ति बनवाईं जाती हैं तो अच्छा होगा, वरना हम खुद पैसा इकट्ठा करेंगे। बता दें कि साल 2014 में गांव में भीषण आग लगने के बाद स्मृति ईरानी ने अमेठी का दौरा किया था और ग्रामीणों को भरोसा दिलाया कि वो मदद करेंगी। केंद्रीय मंत्री ईरानी ने अमेठी से 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ा था, मगर कांग्रेस के राहुल गांधी से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। वहीं पर्रिकर ने कभी बरौलिया गांव का दौरा नहीं किया। मगर साल 2014 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान वह हरिहरपुर चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे थे। इस गांव की करीब 2500 लोगों की मिश्रित आबादी है, जिसमें प्रशिक्षित आरएसएस कार्यकर्ताओं के 115 परिवार भी शामिल हैं।
पुराने दिनों के याद कर हरिहरपुर के आरएसएस कार्यकर्ता रामा शंकर शास्त्री कहते हैं, ‘पर्रिकर जब गांव के दौरे पर आए तब मैंने ही आरएसएस परिवारों संग मीटिंग आयोजित की। मगर मीटिंग के बाद भी उन्होंने मुझे याद रखा। करीब दो साल बाद उन्होंने विभिन्न प्रोजेक्ट को लेकर उन्हें मुझे दिल्ली बुलाया। इस गांव में उनकी कोशिशों की वजह से कई तरह के बदलाव हुए हैं।’ शास्त्री ने कहा कि वो भी चाहते हैं कि गांव में पर्रिकर की मूर्ति बने। पुराने दिनों को याद करते हुए उन्होंने आगे कहा कि मैं बहुत महत्वपूर्ण कार्यकर्ता नहीं हूं। कभी इतने बड़े राजनेता से नहीं मिला जो इतना व्यवहारिक, सामान्य और आदार करने वाला हो।

