कर्नाटक और गोवा में अपनों की बगावत से घबराई कांग्रेस मध्य प्रदेश में सतर्क होती दिख रही है। कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री कमल नाथ लगातार विधायकों के संपर्क में हैं। 17 जुलाई को उन्होंने फिर से विधायकों की एक बैठक बुलाई है। इस बैठक में कांग्रेस के साथ-साथ उन्हें समर्थन दे रहे सपा, बसपा और निर्दलीय विधायक भी शामिल होंगे। बता दें कि महज 11 दिनों में यह तीसरी बैठक होने जा रही है। बहुमत से थोड़ी दूर रह गई कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में बमुश्किल जोड़-तोड़ कर सरकार बनाई है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस को सत्ता गंवाने का डर सता रहा है।
इससे पहले कमलनाथ ने अपनी पार्टी कांग्रेस सहित सपा, बसपा एवं निर्दलीय विधायकों से मध्य प्रदेश विधानसभा के मौजूदा सत्र में सदन की कार्यवाही के दौरान हमेशा मौजूद रहने के निर्देश दिए थे, ताकि बेवजह सरकार संकट में न आए। बसपा की विधायक रामबाई ने रविवार (14 जुलाई) को ‘भाषा’ को बताया, ‘हां, मुझे 17 जुलाई को मुख्यमंत्री निवास पर विधायकों की बैठक में बुलाया गया है। मैं कांग्रेस के साथ हूं, विशेष रूप से कमलनाथ जी के साथ। मैं उनकी सरकार को समर्थन जारी रखूंगी।’ इससे पहले, 7 जुलाई और 11 जुलाई को इन विधायकों की बैठक और डिनर हो चुके हैं।
कांग्रेस सूत्रों के अनुसार कमल नाथ ने अपने निवास पर कांग्रेस विधायक दल की 7 जुलाई की रात हुई बैठक में अपनी पार्टी के सभी विधायकों और उनकी सरकार को समर्थन दे रहे समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और निर्दलीय विधायकों को साफ-साफ कहा था कि वे सभी इस मॉनसून सत्र में सदन में हमेशा उपस्थित रहें। इस बैठक में उनकी सरकार को समर्थन दे रहे सपा, बसपा एवं निर्दलीय विधायक भी शामिल हुए थे।
कमलनाथ को संभवत: इस बात का डर है कि इस सत्र में बजट पेश होने के बाद बीजेपी वित्तीय मामलों सहित अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर कभी भी वोटिंग की मांग करने का ‘गेम प्लान’ कर सकती है और यदि उस वक्त सदन में हमारे पर्याप्त सदस्य मौजूद नहीं रहे, तो इससे हमारी सरकार बेवजह संकट में आ सकती है। सूत्रों के अनुसार इसके बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी अपने पार्टी के विधायकों और सरकार को समर्थन दे रहे सपा, बसपा एवं निर्दलीय विधायकों का मूड जानने के लिए भोपाल में 11 जुलाई को डिनर किया था।
मध्य प्रदेश में कुल 230 विधानसभा सीटें हैं, इनमें से 114 कांग्रेस के कब्जे में हैं जबकि 108 बीजेपी, दो बसपा, एक सपा और चार निर्दलीय विधायकों के कब्जे में हैं। एक सीट वर्तमान में खाली है। बहुत ही कम संख्या में बहुमत होने के कारण बीजेपी प्रदेश सरकार पर कभी भी गिरने का तंज कसती रहती है। वहीं, कांग्रेस कहती है कि हमारी सरकार पूरे पांच साल चलेगी।