कश्मीर के अलगाववादी नेताओं ने आज दावा किया कि कश्मीर पर सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के बयान तथ्यों का कबूलनामा हैं, लेकिन कश्मीर मुद्दे का सैन्य समाधान नहीं हो सकता। जनरल रावत ने कल कहा था कि कश्मीर की जनता मान चुकी है कि भारत से अलग होना बहुत मुश्किल है और वे उग्रवाद से भी आजिज आ चुके हैं। सेना प्रमुख ने कहा था, ‘‘उन्होंने लंबे समय से यह देखा है और वे समझ चुके हैं कि उन्हें इससे वो सब नहीं मिला जो उन्हें चाहिए था। मैं आपको बता दूं कि भारत जैसे देश की बात करें तो एक ऐसे देश से आजादी की मांग करना जहां मजबूत सशस्त्र बल हैं, जहां मजबूत लोकतंत्र है और बहुत मजबूत सरकार है, वहां आप उससे अलग नहीं हो सकते। जनता यह समझ चुकी है।

इन बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए अलगाववादी नेताओं ने एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यह इस बात का स्पष्ट संकेत है कि जनरल रावत ने इस तथ्य को स्वीकार कर लिया है कि जम्मू कश्मीर की अधिकांश जनता अपने आत्मनिर्धारण और आजादी के अधिकार की मांग कर रही है।

मीरवाइज उमर फारुक ने यहां अपने आवास पर संवाददाताओं से कहा, ‘‘उनका बयान इस तथ्य का कबूलनामा है कि कश्मीर के लोग क्या चाहते हैं। यह स्पष्ट इशारा है कि उन्होंने इस तथ्य को स्वीकार कर लिया है कि जम्मू कश्मीर के अधिकतर लोग अपने आत्मनिर्धारण और आजादी के अधिकार को मांग रहे हैं। हुर्रियत कांफ्रेंस के नरमपंथी धड़े के प्रमुख मीरवाइज के साथ जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक भी थे। हुर्रियत के कट्टरपंथी धड़े के प्रमुख सैयद अली शाह गिलानी ने टेलीफोन से प्रेस को संबोधित किया। तीनों ज्वाइंट रेजिस्टेंस लीडरशिप के बैनर तले साथ में आये थे।