उत्तराखंड का युवा राज्य में नशाखोरी के बढ़ते कारोबार के खिलाफ सड़कों पर उतर आया है। जिस तरह से तेजी के साथ नशा उत्तराखंड में पैर पसार रहा है उससे युवा पीढ़ी नशे की गिरफ्त में आ रही है और युवाओं का भविष्य बर्बाद हो रहा है। माना यह जा रहा है कि नशे के बढ़ते कारोबार के पीछे नशे के व्यापारियों कुछ कथित राजनेताओं और कुछ नौकरशाहों का गठजोड़ काम कर रहा है। राज्य की कई एजंसियां नशाखोरी के खिलाफ काम करने के लिए विशेष रूप से बनाई गई हैं। राज्य में यह कहावत आम है कि सूर्य अस्त पहाड़ी मस्त।
भले ही राज्य सरकार का मद्य निषेध विभाग शराब के सेवन खिलाफ लाखों रुपए का बजट खर्च करके अभियान चलाए हुए हैं, परंतु साथ ही राज्य का आबकारी विभाग राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ भी बना हुआ है। इस तरह दोहरे मापदंड शराब को लेकर अन्य राज्य सरकारों की तरह ही उत्तराखंड की सरकार भी अपनाए हुए हैं परंतु शराब के साथ उत्तराखंड में सफेद नशे यानी स्मैक हेरोइन गांजा का धंधा काफी तेजी के साथ पैर पसार रहा है और युवाओं में यह नशा आम होता जा रहा है। आठ अरब रुपए का यह कारोबार उत्तराखंड राज्य बनने के बाद तेजी से फला फूला है। माना जाता है कि जिसे राजनीतिक संरक्षण भी मिला हुआ है।
उत्तराखंड में राज्य निर्माण के 22 साल में हर पार्टी की सरकार ने राज्य को शिक्षा के केंद्र के रूप में बनाने के लिए जी तोड़ प्रयास किए और यहां पर कई उच्च शिक्षण संस्थान सरकारी और गैर सरकारी खोले गए, जहां पर अन्य प्रदेशों से बड़ी तादाद में छात्र-छात्राएं पढ़ने आते हैं। इसके अलावा विदेशी छात्र भी जहां पर पढ़ने आते हैं और देखने में आया है कि शिक्षा का यह केंद्र उत्तराखंड में नशे के कारोबार को भी साथ लेकर आया।
जिस तरह से छात्र-छात्राएं उत्तराखंड में नशे के शिकार हो रहे हैं वह चिंता का विषय है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बीते दिनों नशा मुक्त उत्तराखंड बनाने का अभियान शुरू किया जिसके तहत राज्य के पुलिस महकमे ने जगह जगह युवाओं को नशे के खिलाफ जागरूक करने के लिए सेमिनार आयोजित किए। पूरे उत्तराखंड के युवाओं को नशाखोरी के खिलाफ जागृत करने के लिए और धर्मनगरी हरिद्वार समेत कई अन्य तीर्थ स्थानों में नशे के बढ़ते कारोबार से त्रस्त युवाओं ने हरिद्वार के गंगा तट पर स्वामी श्रद्धानंद की मूर्ति के आगे आमरण अनशन की शुरुआत कर एक नई अलख जगाई।
युवा जागृति विचार मंच के माध्यम से गुरु कांगड़ी विश्वविद्यालय और उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के छात्रों ने एक हफ्ते तक लगातार नशाखोरी के खिलाफ आमरण अनशन किया। युवा जागृति मंच के संयोजक मनीष चौहान ने विद्यालय के सिंहद्वार चौराहे के पास स्वामी श्रद्धानंद की मूर्ति के सामने के लगातार 7 दिन तक आमरण अनशन किया। इस आंदोलन को युवाओं, छात्रों, सामाजिक संस्थाओं ,साधु-संतों और विभिन्न राजनीतिक दलों ने खुला समर्थन दिया।
इस आंदोलन के प्रेरणादायक आध्यात्मिक संत पंडित गिरीश चंद्र कौल मुख्य कर्ताधर्ता रहे। आमरण अनशन स्थल पर मौजूद प्रशासन के आला अधिकारियों ने युवाओं को नशाखोरी के खिलाफ युद्ध स्तर पर प्रभावशाली कार्रवाई करने का आश्वासन दिया। युवा जागृति विचार मंच के प्रदेश संयोजक का कहना है कि नशाखोरी के खिलाफ अभियान छेड़ने को लेकर शासन प्रशासन और युवाओं के बीच सात बिंदुओं पर सहमति बनी है जिनका प्रशासन पूरी तरह पालन करेगाष यदि शासन प्रशासन की तरफ से नशाखोरी के खिलाफ कोई ढील बरती गई तो युवा फिर से सड़कों पर उतर आएगा।