कानपुर के चौबेपुर में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या करने के बाद पिछले करीब एक हफ्ते से फरार चल रहे गैंगस्टर विकास दुबे को पुलिस ने शुक्रवार सुबह एनकाउंटर में मार गिराया। उसे गुरुवार को मध्य प्रदेश के उज्जैन से पकड़ा गया था। यूपी पुलिस उसे मध्य प्रदेश से ट्रांजिट रिमांड पर लेकर कानपुर आ रही थी। पुलिस के मुताबिक, कानपुर के भौती के पास ही उनकी गाड़ी पलटने के बाद विकास दुबे ने भागने की कोशिश की। हालांकि, मुठभेड़ में उसे मार गिराया गया। गौरतलब है कि पिछले 8 दिनों में विकास के गैंग के सात लोगों में 5 को पुलिस ने एनकाउंटर में ही मारा है। सिर्फ दो लोगों को ही गिरफ्तार किया गया।

यूपी पुलिस ने विकास दुबे की खोज के दौरान ठीक एक हफ्ते पहले बिकरु गांव के जंगलों में उसके मामा प्रेम प्रकाश पांडे और चचेरे भाई अतुल दुबे को एनकाउंटर में मार गिराया था। इसके बाद पुलिस ने विकास के करीबी दयाशंकर अग्निहोत्री को कल्याणपुर इलाके में मुठभेड़ के दौरान पकड़ लिया था। दयाशंकर के पैर में गोली लगी थी। पुलिस ने घेराबंद करने के बाद उससे सरेंडर करने को कहा था, लेकिन उसने देसी तमंचे से पुलिस पर फायरिंग कर दी और भागने की कोशिश की।

इसके बाद पुलिस को विकास के राइट हैंड कहे जाने वाले अमर दुबे के भी हमीरपुर में छिपे होने की सूचना मिली थी। पुलिस ने उसे गिरफ्तार करने पहुंची, लेकिन फायरिंग के बाद पुलिस ने अमर दुबे को एनकाउंटर में मार गिराया। पुलिस ने इसी हफ्ते विकास के एक और करीबी श्यामू बाजपेयी का भी एनकाउंटर किया था, इसमें श्यामू के पैर में गोली लगी थी। उसे बाद में गिरफ्तार कर हैलट अस्पताल में भर्ती करा दिया गया।

विकास दुबे के दो और साथी एनकाउंटर में ढेर हुए थे। पुलिस ने बताया था कि प्रभात मिश्रा पुलिस हिरासत से भागने की कोशिश कर रहा था, जिसके बाद एनकाउंटर में उसे ढेर कर दिया गया। उसे बुधवार को फरीदाबाद से गिरफ्तार किया गया था। इसके अलावा विकास दुबे गैंग के एक और मोस्ट वांटेड क्रिमिनल बउवा दुबे को भी इटावा में मार गिराया गया था।

कौन था विकास दुबे?: यूपी के कानपुर का रहने वाला विकास दुबे नामी बदमाश था। उस पर 30 साल में 62 आपराधिक मुकदमे दर्ज हुए थे। विकास पर यूपी में राजनाथ सिंह की सरकार में थाने में घुसकर मंत्री की हत्या करने का आरोप है। विकास दुबे ने साल 2001 में राजनाथ सिंह की सरकार में दर्जा प्राप्त मंत्री संतोष शुक्ला की थाने में घुसकर हत्या कर दी थी। इस मामले में पुलिस ने साल 2017 में विकास दुबे को गिरफ्तार किया था लेकिन कोई गवाह नहीं मिलने के कारण वह इस मामले में बरी हो गया था।