Dhanbad Killings Case: धनबाद की एक कोर्ट ने बुधवार को झरिया के पूर्व भाजपा विधायक संजीव सिंह और 10 अन्य आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। संजीव सिंह पर अपने चचेरे भाई और धनबाद के पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह की हत्या का आरोप है। नीरज सिंह की 21 मार्च, 2017 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
पूर्व भाजपा विधायक संजीव सिंह के बरी होने के बाद मामला एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया है। जिसने कभी झारखंड की राजनीति में हलचल मचा दी थी।
21 मार्च, 2017 की शाम को कांग्रेस नेता नीरज सिंह अपने अंगरक्षक, ड्राइवर और निजी सहायक के साथ एक एसयूवी में यात्रा कर रहे थे, तभी मोटरसाइकिल सवार चार हमलावरों ने उनकी गाड़ी रोककर उन पर ताबड़तोड़ गोलियां चला दीं। जिससे चारों की मौके पर ही मौत हो गई।
एक दिन बाद घटनास्थल का निरीक्षण करते हुए पुलिस ने बताया कि नीरज को निशाना बनाकर एके-47 राइफलों और पिस्तौलों से साठ से ज़्यादा राउंड फायर किए गए। जो यह बताने के लिए काफी थे कि उनकी गाड़ी पर किया गया हमला पूरी तरह से सुनियोजित था।
इस घटना ने धनबाद में कोयला व्यापार से जुड़ी राजनीतिक और व्यावसायिक प्रतिद्वंद्विता को फिर से केंद्र में ला दिया है। इन हत्याओं के दो दिन के भीतर, पुलिस ने एक एफआईआर दर्ज की, जिसमें तत्कालीन भाजपा विधायक संजीव सिंह और पांच अन्य को आरोपी बनाया गया। उन्होंने आरोप लगाया था कि यह मामला चचेरे भाइयों के बीच की प्रतिद्वंद्विता से उपजी एक साज़िश का हिस्सा था, जो कथित तौर पर 1990 के दशक के मध्य में उनके परिवार के मुखिया और धनबाद के डॉन सूर्यदेव सिंह की मृत्यु के बाद राजनीतिक विरासत और व्यावसायिक नियंत्रण को लेकर हुए संघर्ष से उपजी थी।
पुलिस जांच के परिणामस्वरूप कई कथित शूटरों की गिरफ्तारी हुई, जिन्हें मई 2017 में उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) द्वारा ट्रैक किया गया था। यह मामला अदालतों में धीमी गति से आगे बढ़ा, जिसमें कई मोड़ आए और साक्ष्यों पर बार-बार संदेह हुआ।
सितंबर 2022 में, धनबाद की एक कोर्ट ने हत्याओं से जुड़े एक अतिरिक्त मामले में चार शूटरों और दो अन्य को सबूतों और गवाहों के अभाव का हवाला देते हुए बरी कर दिया। जेल में बंद रहे आरोपियों में से एक अमन सिंह की 2023 में धनबाद जेल के अंदर गोली मारकर हत्या कर दी गई।
बुधवार को इस मामले में धनबाद की विशेष एमपी-एमएलए कोर्ट ने संजीव सहित शेष सभी 11 आरोपियों को बरी कर दिया। अदालत के इस फैसले से धनबाद की राजनीति में नई दरार उभर आई है। संजीव के परिवार के लिए यह फैसला राहत की खबर है।
कोर्ट के फैसले को लेकर संजीव की पत्नी और झरिया से वर्तमान भाजपा विधायक रागिनी सिंह ने कहा कि यह सत्य की जीत है। ईश्वर और कोर्ट का न्याय एक साथ है। पूरे कोयलांचल में खुशी की लहर है।
संजीव की राजनीति में वापसी के सवाल पर उन्होंने कहा कि लोग उनका इंतज़ार कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मैं भी उन्हें लोगों के सामने वापस लाना चाहती हूं। भला कौन अपने नेता का आठ साल तक ऐसे इंतज़ार करेगा? एक गृहिणी के लिए राजनीति में कदम रखना एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन लोगों ने मेरा साथ दिया।
इसके विपरीत, नीरज की पत्नी और पूर्व कांग्रेस विधायक पूर्णिमा ने अपने मृत पति को न्याय दिलाने में विफल रहने के लिए पिछली रघुबर दास के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को दोषी ठहराया। उन्होंने पूछा कि पूरी जांच पहले दिन से ही गड़बड़ लग रही है। यह भाजपा शासन के दौरान हुआ था, और हमने सीबीआई जांच की मांग की थी… हमने विधानसभा के सामने धरना दिया था। और अब, अगर जांच में कुछ नहीं निकला, तो किसे दोष दिया जाए? इस गड़बड़ जांच के लिए कौन ज़िम्मेदार है?
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पूर्णिमा ने यह भी आरोप लगाया कि रागिनी बदला लेने की फिराक में थी और दावा किया कि उसके परिवार की जान खतरे में है। पूर्णिमा ने कहा कि वह (रागिनी) अपने पति की गिरफ़्तारी के लिए अधिकारियों को ज़िम्मेदार ठहराती हैं, लेकिन यह उनकी (भाजपा) सरकार और उनके अधिकारियों का काम था। अब, उनमें लोगों को चेतावनी देने की हिम्मत है… यह साफ़ संकेत है कि जब वह लोगों को चेतावनी देती हैं, तो वह हमें चेतावनी दे रही हैं।
पूर्णिमा ने संजीव सिंह परिवार पर अतीत में कई अपराधों में कथित रूप से शामिल होने का भी आरोप लगाया। उन्होंने आरोप लगाया कि झरिया या धनबाद में जो भी उनके खिलाफ खड़ा हुआ, उसे मार दिया गया… यह मैं नहीं कह रही, रिकॉर्ड यही कहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मेरे पति की दो बार मौत हुई- एक बार 21 मार्च को (हत्या वाले दिन) और दूसरी बार 27 अगस्त को (अदालत के फैसले वाले दिन)। आखिरकार, ऐसा लगता है जैसे नीरज को किसी ने मारा ही नहीं।
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(इंडियन एक्सप्रेस के लिए शुभम तिग्गा की रिपोर्ट)